Hearing in Supreme Court on EVM: चुनाव आयोग (Election Commission) ने EVM और VVPAT पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव नहीं है। शीर्ष अदालत में ईवीएम से डाले गए वोटों का वीवीपीएटी सिस्टम के जरिए निकलने वाली पर्चियों से मिलान की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने आयोग से कहा कि चुनावी प्रक्रिया में पवित्रता होनी चाहिए। कोर्ट ने आयोग से यह भी कहा कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में भी विस्तार से बताए।
ईवीएम से छेड़छाड़ संभव नहीं : जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कहा कि किसी को भी यह आशंका नहीं होनी चाहिए कि जिस चीज की उम्मीद की जा रही है, वह नहीं हो रही है। वहीं, आयोग ने कहा कि आंकड़े के बारे में जान पाना या उसमें छेड़छाड़ कर पाना संभव नहीं है। मॉक पोल के दौरान प्रत्याशी अपनी इच्छा से किसी भी मशीन की जांच कर सकते हैं।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कम से कम यह आदेश दिया जाए कि VVPAT मशीन पारदर्शी हो और उसमें बल्ब लगातार जलता रहे, ताकि वोटर को पूरी तरह पुष्टि संतुष्टि हो सके।
VVPAT सिर्फ एक प्रिंटर : सुनवाई के दौरान एक वकील ने यह भी कहा कि ईवीएम बनाने वाली कंपनियों के इंजीनियर उसे नियंत्रित कर सकते हैं। कोर्ट ने इस दलील को व्यर्थ करार देते हुए आयोग के वकील मनिंदर सिंह से कहा कि या तो वह खुद या कोई अधिकारी वीवीपैट से जुड़ी प्रक्रिया पर कोर्ट को जानकारी दे।
इस पर सिंह ने कहा कि कोर्ट के सवालों का जवाब दिया जाएगा। मनिंदर सिंह ने साथ ही यह भी कहा कि सभी याचिकाएं आशंकाओं पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि VVPAT सिर्फ एक प्रिंटर है।
जब मतदान केन्द्रों पर कब्जा हो जाता था : इससे पहले भी इसी मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मंगलवार को EVM की आलोचना और मतपत्रों को वापस लाने का आह्वान करने के कदम पर नाखुशी जताई थी और कहा कि भारत में चुनावी प्रक्रिया एक बहुत बड़ा काम है।
ऐसे में तंत्र को कमजोर करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने इस बात का भी जिक्र किया कि कैसे चुनाव परिणामों में हेरफेर करने के लिए मतपत्र के दौर में मतदान केंद्रों को कब्जा लिया जाता था।