बिहार, बंगाल, उत्तरप्रदेश, पंजाब, हिमाचल से लेकर महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल और मिजोरम एवं असम समेत 27 राज्यों एवं केंद्रशासित क्षेत्र से आए ये गरीब किसान रामलीला मैदान से पैदल चलकर नारे लगते हुए संसद मार्ग पहुंचे। संसद मार्ग पर एक विशाल मंच बना था जिस पर देश के किसान नेताओं और विभिन्न दलों के राजनीतिज्ञों ने विशाल भीड़ को संबोधित किया।
मंच पर अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्ला, अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता अतुल कुमार अनजान, स्वराज्य अभियान के नेता योगेन्द्र यादव, नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर, किसान मुद्दे पर लिखने वाले मशहूर पत्रकार पी. साई नाथ, डॉ. सुनीलम समेत कई प्रमुख नेता एवं संसद भी मौजूद थे।
रामलीला मैदान से निकली यह ऐतिहासिक रैली संसद मार्ग पर एक विशाल धरना प्रदर्शन में बदल गई और वक्ताओं ने 3 घंटे तक किसानों को संबोधित किया। वक्ताओं ने मोदी सरकार पर तीखे हमले करते हुए उसे जुमलों की सरकार बताया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता में आने से पहले किसानों के लिए जो भी वादे किए थे, उनमें से एक भी वादा नहीं निभाया बल्कि उनके साथ धोखा किया।
वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार हर मोर्चे पर विफल रही और उसके कार्यकाल में पेट्रोल और डीजल ही नहीं, किसानों के खाद, बीज और बिजली के भी दाम बढ़ गए और उनके कर्ज माफ नहीं किए जबकि देश में आज हर 45 मिनट पर कहीं-न-कहीं कोई किसान आत्महत्या कर रहा है। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने अब तक कॉर्पोरेट जगत को 10 लाख करोड़ रुपए करों में छूट दी है और 3.50 लाख करोड़ रुपए के कर्ज माफ कर दिए जबकि किसान अपने कर्ज न चुकाने पर जेल की सजा भुगत रहा है।