नई दिल्ली। अनुच्छेद 370 से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई के दौरान तमिलनाडु के नेता और एमडीएमके के संस्थापक वाइको के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी पर केंद्र सरकार अलग-अलग बातें कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में अब्दुल्ला की हिरासत को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाया गया है।
वाइको के वकील ने कहा कि ऐसे में तो किसी भी व्यक्ति को बिना सुनवाई 2 साल तक हिरासत में रखा जा सकता है। वाइको की याचिका पर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबड़े एवं न्यायमूर्ति एसए नजीर की पीठ ने केंद्र और राज्य को नोटिस जारी किया है।
वाइको ने अब्दुल्ला के लिए याचिका (हैबियस कार्पस) दायर की है। याचिका में कहा गया है कि फारूक उनके निमंत्रण पर 15 सितंबर को चेन्नई में होने वाले अन्नादुरई के 111वीं जन्मशताब्दी समारोह में शामिल होने के लिए तैयार हो गए थे, लेकिन अभी उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। वाइको का कहना है कि अब्दुल्ला को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया है।