ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ा युद्ध का डर, जम्मू कश्मीर के सीमांत इलाकों से पलायन

सुरेश एस डुग्गर

गुरुवार, 8 मई 2025 (12:45 IST)
People are migrating from many sectors of Jammu and Kashmir: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ युद्ध की आशंका अब और बढ़ गई है। नतीजतन पाक हवाई हमलों की रेंज में आने वाले सीमाई कस्बों से भी पलायन आरंभ हो गया है। जिन कस्बों से पलायन आरंभ हुआ है उनमें अखनूर, पल्लांवाला तथा ज्यौड़ियां सेक्टर के कई गांव हैं जो सीमा से तो नहीं सटे हैं, लेकिन इन गांवों के लोगों को आशंका है कि युद्ध की स्थिति में पाक सेना उनके गांवों पर कब्जा कर सकती है। ऐसी आशंका इन गांवों के लोगों को इसलिए भी है क्योंकि पहले भी 1971 तथा 1965 के युद्धों में पाक सेना इन गांवों तथा कस्बों पर कब्जा जमाने में कामयाब रही थी। उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तान द्वारा की जा रही फायरिंग में अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि अपुष्ट रूप से यह संख्या 16 बताई जा रही है। 
 
क्यों डरे हुए हैं लोग :  प्राप्त समाचारों के अनुसार, दरिया चिनाब के किनारे पर बसे हुए अखनूर सेक्टर से भी अब पलायन का क्रम आरंभ हो गया है। हालांकि पहले से पल्लांवाला तथा ज्यौड़ियां के उन कस्बों तथा गांवों से सैकड़ों लोग पलायन कर चुके हैं, जो एलओसी से सटे हुए हैं। मिलने वाली खबरें यह भी कहती हैं कि अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों के वे गांव तथा कस्बे, जो रक्षा खाई के इस ओर आते हैं, वहां से भी सैकड़ों परिवारों में युद्ध की आशंका प्रबल होती जा रही है, जिस कारण वे पलायन करने के मूड में हैं। ALSO READ: क्या पाकिस्तानी सेना करेगी पलटवार की हिमाकत, ऑपरेशन सिंदूर के बाद अजीत डोभाल भी दे चुके हैं चेतावनी
 
अभी ताजा है पिछले युद्धों की याद : प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक, अखनूर सेक्टर के लोगों में 1971 तथा 1965 के युद्धों की याद अभी भी ताजा है। यही कारण है कि वे समय रहते अपना कीमती सामान समेट कर उसे सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा देना चाहते हैं। इसे भूला नहीं जा सकता कि 1971 तथा 1965 के भारत-पाक युद्धों के दौरान पाकिस्तान छम्ब, ज्यौड़ियां, पल्लांवाला तथा चिकन नेक सेक्टरों में भारतीय पक्ष पर भारी साबित हुआ था और हजारों भारतीय नागरिकों को घरों से बेघर होना पड़ा था। स्थिति यह है कि छम्ब के इलाके से बेघर होने वाले छम्ब के विस्तार वाले पल्लांवाला, ज्यौड़ियां तथा अखनूर सेक्टरों में लोग समय रहते आपात उपाय कर लेना चाहते हैं।
 
सरकार ने भी सुरक्षित स्थानों पर जाने के आदेश दिए : अधिकारियों के अनुसार, इन क्षेत्रों के दिलोदिमाग में यह बात बैठ गई है कि पाकिस्तान दरिया चिनाब पर बने हुए पुलों को उड़ा देना चाहता है और उसके पीछे का मकसद इन सेक्टरों पर युद्ध की स्थिति में कब्जा कर लेना है। इस पुल को उड़ाने के लिए पाकिस्तान ने मिसाइलें भी तैनात कर रखी हैं। ऐसी खबरें सोशल मीडिया पर चल रही हैं। इसके उपरांत से इन सेक्टरों के निवासियों में जबरदस्त दहशत का माहौल है। ALSO READ: Operation Sindoor : ऑपरेशन सिंदूर के बाद थर्राया पाकिस्तान, सताया और हमले का डर, क्या बोले रक्षा मंत्री

इसी माहौल का परिणाम है कि अखनूर जैसे सीमा के काफी दूर बसे कस्बे से पलायन का क्रम अब तेजी पकड़ता जा रहा है, जिसके एक ओर दरिया चिनाब तो दूसरी ओर एलओसी भी है और अंतरराष्ट्रीय सीमा भी। हालांकि सीमा व एलओसी से सटे इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर चले जाने का आदेश सरकारी तौर पर दिया जा चुका है।
 
ऐसी स्थिति सिर्फ अखनूर बेल्ट में ही नहीं बल्कि अब अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों के उन कस्बों में भी पैदा हो गई है जो रक्षा खाई के पीछे कुछ किमी की दूरी पर हैं। यहां के निवासियों में युद्ध की शंका के चलते पलायन का क्रम जोर पकड़ने लगा है। ऐसे कस्बों में हीरानगर, रामगढ़, अबताल, कान्हाचक जैसे कस्बे भी हैं जो जीरो लाइन से पीछे रक्षा खाई के पीछे बसे हुए हैं। रक्षा खाई के आगे वाले निवासियों को तो अपने घर-बाहर खाली करने का हुक्म अप्रत्यक्ष तौर पर सुनाया गया है।
 
अधिकारियों का मानना है कि ऐसे क्षेत्रों से, जो पाक गोलाबारी की रेंज में तो नहीं आते, लेकिन हवाई हमलों का निशाना बन सकते हैं, उनके लिए भी चिंता की बात है। अधिकारी भी सुरक्षा को लेकर उन्हें आश्वस्त करने को तैयार नहीं हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे जानते हैं कि युद्ध होने की स्थिति में ये कस्बे हवाई हमलों के निशाने बन सकते हैं। नतीजतन उनके पलायन को रोक पाना फिलहाल उनके बस की बात नहीं है। स्थिति सीमाओं पर यह है कि पलायन करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गैर सरकारी तौर पर सीमाओं पर बनी स्थिति के चलते अभी तक एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों से हजारों लोग अस्थाई पलायन कर चुके हैं।
 
जम्मू कश्मीर में छुट्‍टियां रद्द : भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध की आशंका के चलते जम्मू कश्मीर सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों, अधिकारियों की छुट्टियों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। सभी अस्पतालों में नियुक्त डॉक्टरों, अर्धचिकित्सा स्टाफ की छुट्टियों को भी रद्द करते हुए सभी को अपने कार्य पर वापस लौटने के निर्देश दिए गए हैं। इस बीच सरकार ने स्थिति को आपात बताते हुए जहां नागरिक सुरक्षा के उपायों को तेज किया है वहीं मेडिकल कॉलेज, प्रायवेट नर्सिंग होम्स को आपात स्थिति से निपटने के लिए अपने आपको तैयार रखने के लिए कहा है।
 
ऑपरेशन सिंदूर के बाद युद्ध की आशंका और प्रबल हो गई है। सरकार ने किसी भी आपात स्थिति से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है, वहीं पाक हमले की सूरत में नागरिकों के बचाव के लिए सुरक्षा के उपायों को तेज कर दिया है। सिर्फ सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियों को ही रद्द नहीं किया गया है बल्कि मेडिकल कालेज तथा संबंध्धित अस्पतालों के डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की छुट्‍टियों के अवकाश को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया। इतना ही नहीं प्रदेश सरकार ने युद्ध की स्थिति में चिकित्सा सहायता के लिए प्रायवेट नर्सिंग होम्स के मालिकों से भी तालमेल बनाया है ताकि आवश्यकता पड़ने पर उनका इस्तेमाल सैनिक कार्यों के लिए किया जा सके।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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