क्या कहा कोर्ट ने : अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल ने कहा कि इस अदालत की राय है कि आवेदन सीआरपीसी की धारा-156(3) के तहत स्वीकार किए जाने योग्य हैं। तदनुसार, संबंधित थाना प्रभारी (एसएचओ) को दिल्ली संपत्ति विरूपण रोकथाम अधिनियम, 2007 की धारा-3 और मामले के तथ्यों से प्रतीत होने वाले किसी भी अन्य अपराध के तहत तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाता है। Edited by : Sudhir Sharma