पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इस घोटाले के दौरान लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री थे। मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री के तौर पर लालू यादव की जिम्मेदारी थी कि वह राज्य के हितों की रक्षा करें लेकिन इसके विपरीत न सिर्फ वह चारा घोटाले के सभी मामलों में मौन रहे बल्कि प्रथम दृष्ट्या यह प्रतीत होता है कि वह इन मामलों में स्वयं शामिल थे।
साथ ही अदालत ने कहा कि लालू यादव ने न तो साढ़े तीन वर्ष की सजा की आधी अवधि अभी जेलों में काटी है और न ही वह किसी गंभीर बीमारी से भी ग्रस्त हैं, लिहाजा उन्हें इस मामले में जमानत देने का कोई भी पुष्ट आधार नहीं है। (वार्ता)