CAA पर अमेरिका की टिप्पणी पर विदेश मंत्रालय का करारा जवाब- यह भारत का आंतरिक मामला

शुक्रवार, 15 मार्च 2024 (17:29 IST)
भारत ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA ) पर अमेरिका की टिप्पणी का करारा जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि सीएए भारत का आंतरिक मामला और इस पर अमेरिका की टिप्पणी अनुचित है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 भारत का आंतरिक मामला है और इसके कार्यान्वयन पर संयुक्त राज्य अमेरिका का बयान गलत है। इसलिए इस मामले पर पर उसे किसी भी तरह की गलत टिप्पणी करना अनुचित है।
 
जायसवाल ने कहा कि जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि सीएए 2019 भारत का आंतरिक मामला है और यह भारत की समावेशी परंपराओं और मानवाधिकारों के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए लाया गया है। यह अधिनियम अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के सताए हुए अल्पसंख्यकों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल का अनुदान देता है, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं।
ALSO READ: चुनावी बॉण्ड मामले की हो विशेष जांच, तब तक सीज रहें भाजपा के खाते, मल्लिकार्जुन खरगे की मांग
भारत ने कहा था चिंतित न हों मुसलमान : भारत सरकार ने सोमवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 लागू किया, जिससे 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया। भारत सरकार ने कहा है कि सीएए का मकसद नागरिकता देना है और इसकी वजह से देश का कोई नागरिक अपनी नागरिकता नहीं खोएगा।
ALSO READ: CAA के तहत नागरिकता के लिए ऐसे करें अप्लाई, कौनसे दस्‍तावेज हैं जरूरी?
सरकार ने यह भी कहा है कि सीएए पर भारतीय मुसलमानों को किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस कानून का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है और उनके पास अपने समकक्ष हिंदू भारतीय नागरिकों के समान अधिकार हैं।
 
अमेरिका ने कहा निकटता से नजर : अमेरिका ने कहा था कि सीएए को अधिसूचित किए जाने को लेकर चिंतित है और इसके क्रियान्वयन पर निकटता से नजर रख रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने प्रेस कॉन्फेंस में कहा था कि ‘हम 11 मार्च को जारी की गई नागरिकता (संशोधन) अधिनियम की अधिसूचना को लेकर चिंतित हैं।’’
 
मिलर ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘हम इस बात पर निकटता से नजर रख रहे हैं कि इस अधिनियम को कैसे लागू किया जाएगा। धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सभी समुदायों के साथ कानून के तहत समान व्यवहार मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं।’’ एजेंसियां

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी