देश में 20,000 करोड़ रुपए की ऋण गारंटी योजना की शुरुआत

बुधवार, 24 जून 2020 (18:24 IST)
नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को दबाव झेल रहे 2 लाख सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को अतिरिक्त ऋण सुविधा उपलब्ध कराने में गारंटी कवर के लिए 20,000 करोड़ रुपए की ऋण गारंटी योजना की शुरुआत की
 
यह वित्तपोषण योजना उन एमएसएमई की मदद के लिए शुरू की गई है जो काफी दबाव में हैं और बैंकों ने उन्हें गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) की श्रेणी में डाल दिया है। ऐसे दबाव झेल रहे एमएसएमई के प्रवर्तकों को अतिरिक्त ऋण सुविधा उपलब्ध कराने के वास्ते इस ऋण गारंटी योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना को ‘संकटग्रस्त संपत्ति कोष (एमएसएमई) के लिए अधीनस्थ ऋण।’
 
योजना के तहत 20,000 करोड़ रुपए का गारंटी कवर ऐसे प्रवर्तकों को उपलब्ध कराया जाएगा, जो कि अपनी कर्ज में फंसी एमएसएमई इकाई में इक्विटी के रूप में और निवेश कर सकते हैं और उसके लिए बैंकों से कर्ज लेना चाहते हैं।
 
एक आधिकारिक वक्तव्य में कहा गया है, ‘ऐसा महसूस किया गया कि दबाव के दौर से गुजर रही एमएसएमई के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती ऋणअथवा इक्विटी के तौर पर पूंजी प्राप्त करने को लेकर है। इस स्थिति को देखते हुए 13 मई 2020 को जारी आत्मनिर्भर पैकेज के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने परिचालन में बने लेकिन दबाव झेल रहे एमएसएमई के लिए एक योजना की घोषणा की जिसके तहत उनके प्रवर्तकों को उनके पुराने कर्ज के समक्ष अतिरिक्त छोटा कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा।’
 
योजना को लेकर तमाम जरूरी औपचारिकताओं को पूरा करने आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की मंजूरी और वित्त मंत्रालय, सिडबी और रिजर्व बैंक के साथ विचार-विमर्श करने के बाद गडकरी ने योजना को नागपुर में औपचारिक तौर पर जारी किया।
 
योजना के तहत उन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को कामकाज आगे बढ़ाने के लिए कर्ज सहायता उपलब्ध होगी, जिनका खाता 30 अप्रैल 2020 को एनपीए हो गया और वह दबाव में हैं। ऐसे एमएसएमई के प्रवर्तकों को उनकी इक्विटी जमा ऋण हिस्सेदारी के 15 प्रतिशत के बराबर या फिर 75 लाख रुपए जो भी कम राशि होगी, उसके बराबर अतिरिक्त छोटा कर्ज दिया जाएगा। इस कर्ज को प्रवर्तक उद्यम में इक्विटी निवेश के तौर पर डालेंगे जिससे की उस उपक्रम के ऋण-इक्विटी अनुपात में सुधार आएगा।
 
योजना के तहत कर्ज पर 90 प्रतिशत गारंटी कवर सरकार की तरफ से दिया जाएगा जबकि शेष 10 प्रतिशत प्रवर्तक की तरफ से दिया जाएगा। इस योजना में सात साल तक मूल धन के लौटाने पर रोक होगी जबकि अधिकतम 10 साल में यह कर्ज लौटाना होगा। (भाषा)

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