मोदी जी! कश्मीरियों से भी प्यार करिए...

बुधवार, 10 अगस्त 2016 (13:40 IST)
नई दिल्ली। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर के हालात पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने, वहां सर्वदलीय दल को भेजने तथा वहां अमन और शांति के लिए संसद की ओर से अपील किए जाने की मांग करते हुए बुधवार को कहा कि कश्मीर देश का अभिन्न हिस्सा है तो वहां के लोगों के साथ भी अभिन्न अंग की तरह व्यवहार करना होगा। 
आजाद ने सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कश्मीर घाटी में वर्तमान स्थिति पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि कश्मीर को सिर्फ खुबसूरती के लिए प्यार नहीं किया जा सकता है बल्कि कश्मीर में रहने वालों को भी प्यार करना होगा। वहां का पांच हजार वर्ष पुराना इहितास है, लेकिन पिछले 32-33 दिनों से वहां के जो हालात हैं वह चिंताजनक हैं। हजारों लोग घायल हुए और इस दौरान बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए हैं। 
 
उन्होंने कहा कि एक महीने के संसद सत्र के दौरान अब तक चौथी बार इस मुद्दे पर सदन में चर्चा हो रही है, लेकिन प्रधानमंत्री के पास सदन में आकर कश्मीर मुद्दे पर बोलने का समय नहीं है। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री को सदन में होना चाहिए था, लेकिन वह नहीं आए हैं। मध्यप्रदेश में मंगलवार को  आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के कश्मीरियों से की गई अपील पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता की मध्यप्रदेश कब देश की राजधानी और संसद बन गया है। मध्यप्रदेश से कश्मीर को संबोधित करते हैं और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के कहने पर बयान देने की बात करते हैं। यदि मुख्यमंत्री नहीं कहती तो प्रधानमंत्री अब भी नहीं बोलते क्या?
उन्होंने कश्मीर की समस्या के समाधान को लेकर भाजपा की कड़ी ओलाचना करते हुए कहा कि वह वोट के लिए बयान देती है और समस्या का समाधान करने के वजाय ऐसी स्थिति उत्पन्न कर देती है जिससे यह मामला और जटिल हो जाता है। 
 
आजाद ने कहा कि पाकिस्तान हमारा शत्रु देश है, लेकिन जब वहां हमले होते हैं तो हमें इंसानियत के नाते अपनी सहानुभूति दिखानी चाहिए। प्रधानमंत्री अक्सर यह सहानुभूति दिखाते हैं लेकिन कश्मीर के मामले में ऐसा नहीं दिखा जबकि यह हमारे अभिन्न हिस्से की बात है। कश्मीर मुल्क का ताज है और जब कश्मीर सुलग रहा है तो दिल तक उसकी गर्मी महससू नहीं हो लेकिन सिर को तो यह महससू होनी चाहिए। बयान दिल से निकलना चाहिए क्योंकि जुबान से जो कहेंगे वह इस चाहरदिवारी में गायब हो जाएगी। 
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में कश्मीर और दलित मुद्दे पर बयान देना चाहिए तो वह दलित मुद्दे पर तेलंगाना में जाकर बयान देते हैं। उन्होंने कहा कि यह पहले प्रधानमंत्री हैं जो संसद में सुबह दस बजे आ जाते हैं और शाम छह बजे तक रहते हैं, लेकिन संसद भवन स्थित कमरे में रहते हुए भी इस सदन के लिए हजारों किलोमीटर दूर हो गए हैं। 
 
आजाद ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक सभी प्रधानमंत्री जब संसद में किसी मुद्दे पर गरमागरम बहस होती थी तो सदन में स्वयं पहुंच जाते थे, लेकिन मोदी अपने कमरे में बैठकर कार्यवाही देखते रहते हैं लेकिन सदन में नहीं आते हैं।
 
इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कडी आपत्ति की। इसी दौरान सदन के नेता अरुण जेटली ने हस्तक्षेप किया और कहा कि जम्मू कश्मीर आज एक संवेदनशील स्थिति में है। जहां तक संभव को पूरे सदन को एक आवाज में बोलने की जरूरत है और बहस का दृष्टिकोण राष्ट्रीय होना चाहिए। जनता दल (यू) के शरद यादव ने कहा कि सत्ता पक्ष का रुख सही नहीं है और कश्मीर को लेकर देश की एक राय है।

वेबदुनिया पर पढ़ें