अलविदा रतन टाटा, इस दरियादिल बिजनेस टाइकून की अध्यक्षता में कितना आगे बढ़ा टाटा ग्रुप

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024 (08:34 IST)
Ratan Tata news : प्रसिद्ध उद्योगपति रतन एन टाटा अब हमारे बीच नहीं रहे। बुधवार को 86 वर्ष की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनका उनका निधन हो गया। टाटा संस के मानद अध्यक्ष रतन टाटा को उनकी दरिया दिली के लिए जाना जाता है। उन्होंने टाटा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। 21 वर्षों की उनकी अध्यक्षता में टाटा संस का राजस्व 40 गुना और लाभ 50 गुना बढ़ा। ALSO READ: रतन टाटा के निधन से शोक में डूबा पूरा देश, पीएम मोदी, राहुल गांधी समेत कई लोगों ने जताया दुख
 
बचपन और शिक्षा  :  28 दिसंबर 1937 को जन्मे रतन टाटा, नवल टाटा के सुपुत्र हैं। रतन टाटा के पिता नवल टाटा को जेएन पेटिट पारसी अनाथालय से नवाजबाई टाटा ने गोद लिया थ। रतन टाटा के पिता नवल और मां सोनू 1940 के मध्य में अलग हो गए। इस समय रतन टाटा की उम्र दस वर्ष थी और उनके छोटे भाई, जिम्मी, सात वर्ष के थे। दोनों बच्चों की परवरिश उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने की। 
 
रतन टाटा के एक हॉफ ब्रदर (एक पेरेंट कॉमन ) नोएल टाटा, नवल टाटा की दूसरी शादी (जो सिमोन टाटा के साथ हुई थी) से जन्मे थे। रतन टाटा की शिक्षा मुंबई के  कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल में हुई। उनके पास कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में बीएस डिग्री है। यह उन्होंने 1962 में प्राप्त की। एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम रतन टाटा ने 1975 में हार्वड बिजनेस स्कूल से पूरा किया। 
 
करियर : रतन टाटा ने अपने करियर की शुरुआत टाटा ग्रुप के साथ 1961 में की। अपने करियर की शुरुआत में, रतन टाटा टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर लाइमस्टोन को हटाने और धमाके भट्टी को हैंडल करने का काम करते थे। टाटा ने नाल्को में हाई टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट बनाने की शुरुआत करने के लिए पैसा लगाने का सुझाव जेआरडी टाटा को दिया। अब तक इस कंपनी में सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स ही बनाए जाते थे और कंपनी काफी घाटे में चल रही थी। जेआरडी टाटा इस सलाह से बहुत खुश नहीं थे, परंतु उन्हें इस पर अमल किया और आगे चलकर कंपनी काफी फायदे में चलने लगी। ALSO READ: Ratan Tata news : 10 बातों से जानिए कितने खास थे रतन टाटा
 
रतन टाटा को 1970 के दशक में टाटा समूह में प्रबंधकीय पद दिया गया। 1991 में जेआरडी टाटा ने टाटा संस का चैयरमैन पद छोड़ दिया और रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। टाटा को शुरुआत में विभिन्न सहायक कंपनियों के प्रमुखों से कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। टाटा ने नवाचार को प्राथमिकता दी और युवा प्रतिभाओं को कई जिम्मेदारियां सौंपी। उनके नेतृत्व में सहायक कंपनियों के बीच ओवरलैपिंग संचालन को कंपनी-व्यापी संचालन में सुव्यवस्थित किया गया, जिसमें समूह वैश्वीकरण को अपनाने के लिए असंबंधित व्यवसायों से बाहर निकल गया।
 
उपलब्धियां : अपने 21 साल के कार्यकाल में रतन टाटा ने टाटा ग्रुप की आमदनी को 40 गुना अधिक कर दिया और टाटा ग्रुप के लाभ को 50 गुना पहुंचा दिया। जब उन्होंने टाटा के ग्रुप की कमान संभाली थी, तब लाभ चीज़ें बेचकर होती थीं और जब टाटा ने ग्रुप छोड़ा, तब आमदनी का जरिया टाटा ब्रांड बन चुका था। 
 
रतन टाटा की कमान लेते ही टाटा ग्रुप ने टाटा टी ब्रांड के तले टीटले, टाटा मोटर्स के तले जगुआर लैंड रोवर और टाटा स्टील के तले कोरस खरीदे। इन खरीदियों के बाद टाटा ग्रुप भारत के बहुत बड़े ब्रांड से ग्लोबस बिज़नेस में दाखिल हुआ। इस ग्रुप का 65 प्रतिशत रैवेन्यू करीब 100 देशों में फैले बिजनेस से आने लगा। टाटा की नैनो कार, रतन टाटा की सोच का नतीजा है। रतन टाटा ने कहा भी है कि नैनो का कांसेप्ट क्रांतिकारी रहा। इसके भारतीय बाज़ार में आने से एवरेज इंडियन खरीदार के बजट के अनुसार कारों की कीमत रखी जाने लगी। ALSO READ: रतन टाटा ने फोर्ड चेयरमैन से ऐसे लिया था अपमान का बदला
 
साइप्रस मिस्त्री को सौंपी कमान, फिर हटाया : टाटा ने 75 वर्ष की आयु पूरी करने पर दिसंबर 2012 को टाटा समूह में अपनी कार्यकारी शक्तियों से इस्तीफा दे दिया। उनके उत्तराधिकार को लेकर काफी विवाद भी हुआ और कंपनी के निदेशक मंडल और कानूनी इकाई ने उनके उत्तराधिकारी साइरस मिस्त्री को नियुक्त करने से इनकार कर दिया, जो टाटा के रिश्तेदार और शापूरजी पल्लोनजी समूह के पल्लोनजी मिस्त्री के पुत्र थे और वे टाटा समूह के सबसे बड़े व्यक्तिगत शेयरधारक थे।
 
चौबीस अक्टूबर 2016 को, साइरस मिस्त्री को टाटा संस के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया और टाटा को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया। उत्तराधिकारी खोजने के लिए एक चयन समिति बनाई गई, जिसमें टाटा भी सदस्य के रूप में शामिल थे। बारह जनवरी 2017 को, नटराजन चंद्रशेखरन को टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया और चंद्रशेखरन ने फरवरी 2017 में पदभार संभाला।
 
टाटा शिक्षा, चिकित्सा और ग्रामीण विकास के समर्थक रहे और उन्हें भारत में एक अग्रणी परोपकारी व्यक्ति माना जाता है। रतन टाटा को भारत सरकार ने वर्ष 2000 में पद्मभूषण और 2008 में पद्मविभूषण से नवाजा। 
Edited by : Nrapendra Gupta 

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