पी. राधाकृष्णन ने इस मुद्दे पर कोई भी ठोस टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। विश्वंभर प्रसाद निषाद, सुखराम सिंह यादव और छाया वर्मा ने सवाल किया था कि क्या यह सच है कि नोटबंदी की समय-सीमा के बाद भी लोगों के पास चलन से बाहर हो गए नोट पड़े हैं और उसका प्रयोग नहीं होने से लोग हतोत्साहित हैं।