रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे ने साल 2018-19 में अपना ऑपरेटिंग रेशियो 97.27 दिखाया है। हालांकि रेलवे का लक्ष्य ऑपरेटिंग रेशियो को 92.8 रखना था। फिर भी जो आंकड़े रेलवे की तरफ से दिखाए गए, उसके लिए गलत तरीका अपनाया गया। भविष्य की कमाई के आंकड़ों को भी सरकार ने इसमें शामिल किया।
रेलवे ने एनटीपीसी और CONCOR से भविष्य में मिलने वाले 8,351 करोड़ का माल भाड़ा अपने खाते में जोड़ा। इस तरह से खातों में रेलवे की कमाई ज्यादा दिखाई गई। अगर ये नहीं तो असल में रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो साल 2018 के लिए 101.77 होता यानी उस दौरान रेलवे ने 100 रुपए की कमाई के लिए करीब 102 रुपए खर्च किए। ऑपरेटिंग रेश्यो से ही रेलवे की आर्थिक दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है।
कोयला ढुलाई से सबसे ज्यादा कमाई : कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि रेलवे ने 2015-16 में एलआईसी से 5 साल में 1.5 लाख ऋण लेने का करार किया था। यह राशि 2015 से 2020 के बीच मिल जानी चाहिए थी लेकिन रेलवे 2015 से 2019 तक केवल 16,200 करोड़ रुपए ही ले पाया।
प्रोजेक्ट में देरी पर जताई चिंता : रिपोर्ट में रेलवे प्रोजक्ट में हो रही देरी पर भी चिंता जताई गई है। इसके लिए जोनल रेलवे की क्षमताओं पर सवाल खड़े किए गए हैं। साथ ही इसके लिए रेलवे बोर्ड की भी खिंचाई की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक 395 प्रोजेक्ट्स में से 268 प्रोजेक्ट्स 31 मार्च 2019 तक पूरे नहीं हुए थे। (एजेंसियां)