राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा जारी अध्यादेश जो एक बार में लागू होता है, में कहा गया है: बशर्ते जिस अवधि के लिए प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक अपनी प्रारंभिक नियुक्ति पर पद धारण करते हैं, उसे सार्वजनिक हित में, खंड (ए) के तहत समिति की सिफारिश पर तथा लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों के लिए, एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
इसमें कहा गया है कि बशर्ते कि प्रारंभिक नियुक्ति में उल्लिखित अवधि सहित कुल मिलाकर 5 साल की अवधि पूरी होने के बाद ऐसा कोई विस्तार प्रदान नहीं किया जाएगा। ईडी निदेशक की नियुक्ति केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश पर केंद्र सरकार करती है। इसके सदस्यों में सतर्कता आयुक्त, गृह सचिव, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सचिव तथा राजस्व सचिव शामिल हैं। सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (डीएसपीई) (संशोधन) अध्यादेश, 2021 भी जारी किया है और यह भी एक बार में लागू होता है।
इस अध्यादेश में डीएसपीई कानून में प्रावधान जोड़ा गया है कि बशर्ते जिस अवधि के लिए निदेशक अपनी प्रारंभिक नियुक्ति पर पद धारण करते हैं, उसे सार्वजनिक हित में धारा 44 की उप-धारा (1) के तहत समिति की सिफारिश पर तथा लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों के लिए, एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
इसमें कहा गया कि बशर्ते प्रारंभिक नियुक्ति में उल्लेखित अवधि समेत कुल 5 वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद ऐसा कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा। सीबीआई के निदेशक का चयन प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता की एक समिति की सिफारिश के आधार पर होता है। सीबीआई और ईडी के प्रमुखों के लिए दो वर्ष के तय कार्यकाल का उद्देश्य उन्हें उनके द्वारा की गई किसी जांच के लिए प्रतिकूल कार्रवाई की चिंता किए बिना सरकार के हस्तक्षेप से मुक्त होकर कार्य करना सुनिश्चित करना है।