जानिए GSLV-Mk 3 की खास बातें

सोमवार, 5 जून 2017 (20:56 IST)
बेंगलुरू। भारत का अब तक का सबसे बड़ा रॉकेट जीएसएलवी मार्क 3 लांच हो गया है। भारतीय वैज्ञानिकों ने इस लांच के बाद एक नया इतिहास बनाया है।  इसरो ने इस लॉन्‍च के सफलतापूर्वक पूरा होने की घोषणा करते हुए इस दिन को ऐतिहासिक बताया। रॉकेट ने निर्धारित 5 बजकर 28 मिनट पर उड़ान भरी और संचार उपग्रह जीसैट-19 को कक्षा में सफलतापूर्वक स्‍थापित कर दिया। इस रॉकेट की कामयाबी से अब भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने में भारत का रास्ता साफ हो जाएगा। जानिए जीएसएलवी मार्क 3 के बारे में खास बातें-
 
1. जीएसएलवी मार्क 3 में देश में ही विकसित क्रायोजेनिक इंजन लगा है। 
 
2. क्रायोजेनिक इंजन के अलावा इसके मोटर (एस200) में 2 ठोस पट्टियां हैं और यह कोर लिक्विड बूस्टर (एल110) से लैस है।
 
3.  यह फुली लोडेड बोइंग जंबो जेट या 200 हाथियों जितना वजनदार है। जीएसएलवी मार्क-3 सबसे खास बात यह है कि सबसे वजनी रॉकेट को भारत की धरती से लांच किया गया है। अब तक 2,300 किलोग्राम से अधिक भार वाले रॉकेट को लांच करने के लिए हम विदेशी लॉन्चर पर निर्भर थे।
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4. जीएसएलवी मार्क-3 डी1 तीन चरणों वाला वीइकल है जो स्वदेशी क्रायोजेनिक अपर स्टेज इंजन से लैस है। इसका निर्माण जियोसिंक्रनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) तक सबसे वजनी संचार सैटलाइट ढोने के लिए किया गया है।
 
5. जीएसएलवी मार्क-3 डी1 4000 किलोग्राम वजन का अंतरिक्ष उपकरण जीटीओ तक ढो सकता है और 10,000 किलोग्राम का अंतरिक्ष उपकरण लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) तक ले जा सकता है।
 
6. जीएसएटी-19 पहली बार भारत में बनी लीथियम-आयन बैटरी से संचालित होगा। ये बैटरी इसलिए बनाए गए हैं ताकि भारत का खुद पर भरोसा बढ़ सके। इस तरह के बैटरी का इस्तेमाल कार और बसों के लिए भी किया जा सकता है।
 
 
7. इस मिशन का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह देश के कम्युनिकेश संसाधनों को बढ़ाने का काम करेगा। जीएसएटी-19 सैटलाइट स्पेस में मौजूद 6-7 पुराने किस्म के कम्यूनिकेशन सैटलाइट के बराबर है।
 
8. इसरो के पूर्व चेयरमैन के कस्तुरीरंगन ने इस जीएसएलवी मार्क-3 की कल्पना की थी, उन्होंने पुष्टि की है कि यह भारतीय वैज्ञानिकों को स्पेस में भेजने वाला स्वदेशी यान होगा।
 
9. इसरो के मुताबिक, जीएसएटी-19 में कुछ उन्नत स्पेसक्राट टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया गया है।
 
10. जीएसएटी-19 को लेकर जो सबसे ज्यादा आविष्कारक चीज हुई है वह यह कि पहली बार इसमें कोई ट्रांसपॉन्डर्स नहीं होंगे। इसमें पहली बार नई तरह के बीम डेटा का इस्तेमाल किया गया है। यह उपग्रह मल्टिपल स्पॉट बीम का इस्तेमाल करेंगे जिससे इंटरनेट स्पीड और कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी।

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