केंद्रीय ट्रेड यूनियन, ग्रेच्युटी भुगतान कानून में प्रस्तावित संशोधन पर त्रिपक्षीय बैठक में अंतरिम उपाय के रूप में ग्रेच्युटी भुगतान की सीमा दोगुनी करने पर सहमत हो गए हैं। यूनियनों ने ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए प्रतिष्ठान में कम-से-कम 10 कर्मचारियों के होने तथा न्यूनतम पांच साल की सेवा की शर्तों को हटाने की मांग की है।
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) ने एक बयान में कहा, 'अंतरिम उपाय के रूप में अधिकतम भुगतान सीमा 20 लाख रुपए करने को स्वीकार करते हुए यूनियनों ने कर्मचारियों की संख्या और सेवा वर्ष के संदर्भ में सीमा हटाए जाने की मांग की है।' श्रमिक संगठन ने कहा, 'केंद्रीय ट्रेड यूनियन सरकार से यह अनुरोध करते रहे हैं कि ग्रेच्युटी की राशि की सीमा हटाई जानी चाहिए।'
श्रमिक संगठनों ने कहा कि सरकार ने 15 फरवरी 2017 के पत्र के साथ ग्रेच्युटी कानून के भुगतान में संशोधन का जो प्रस्ताव दिया था, वह केवल कानून की धारा 4 (3) के तहत सीमा 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए करने से संबंधित था।
उन्होंने रेखांकित किया कि बैठक में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुरूप अधिकतम सीमा 20 लाख रुपए करने के लिए संशोधन का प्रस्ताव किया गया। सातवें वेतन आयोग की सिफारिश को सरकार ने स्वीकार कर लिया है। नियोक्ताओं के साथ राज्य प्रतिनिधियों ने भी ग्रेच्युटी की राशि बढ़ाकर 20 लाख रुपए करने पर सहमति जताई। (भाषा)