जमीन घोटाला मामला : हेमंत सोरेन 5 महीने बाद हुए रिहा, हाईकोर्ट ने दिया आदेश

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शुक्रवार, 28 जून 2024 (17:16 IST)
Hemant Soren released in land scam case : झारखंड उच्च न्यायालय ने कथित भूमि घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को शुक्रवार को जमानत दे दी जिसके बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। अदालत ने सोरेन की जमानत याचिका पर अपना फैसला 13 जून को सुरक्षित रख लिया था।
 
धनशोधन मामले में 31 जनवरी को किया था गिरफ्तार : न्यायमूर्ति रंगन मुखोपाध्याय की एकल पीठ द्वारा पारित आदेश में कहा गया, याचिकाकर्ता को 50,000 रुपए के जमानती मुचलके और इतनी ही राशि की दो प्रतिभूति के साथ जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन के मामले में 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। एक अधिकारी ने बताया कि सोरेन (48) बिरसा मुंडा जेल में कैद थे और कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें अपराह्न चार बजे रिहा किया गया।
 
सोरेन के वरिष्ठ वकील अरुणाभ चौधरी ने कहा, सोरेन को जमानत दे दी गई है। अदालत ने कहा है कि प्रथम दृष्टया, वह दोषी नहीं हैं और जमानत पर रिहाई के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा कोई अपराध किए जाने की कोई आशंका नहीं है।
 
झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को सोरेन को अदालत द्वारा जमानत दिए जाने पर खुशी जताई। सोरेन जब जेल से बाहर निकले तो बड़ी संख्या में झामुमो के समर्थक वहां मौजूद थे और उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री के समर्थन में नारेबाजी की। सोरेन की पत्नी एवं झामुमो विधायक कल्पना सोरेन ने न्यायपालिका और जनता को समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।
 
कार्यकर्ता एक-दूसरे को मिठाई बांटते दिखे : सोरेन जेल से रिहा होने के बाद लोगों को हाथ हिलाकर अभिवादन करते और अपने पिता एवं झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन का आशीर्वाद लेते नजर आए। उच्च न्यायालय से सोरेन को जमानत दिए जाने के बाद झामुमो और कांग्रेस कार्यकर्ता एक-दूसरे को मिठाई बांटते दिखे।
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सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय के वकील एसवी राजू ने अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) पुलिस थाने में ईडी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों का जिक्र करते हुए दलील दी कि अगर सोरेन को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह इसी तरह का अपराध फिर करेंगे।
 
अदालत ने कहा, यद्यपि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा याचिकाकर्ता के आचरण को एजेंसी के अधिकारियों द्वारा उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आधार पर उजागर किया गया है लेकिन मामले के समग्र परिप्रेक्ष्य में याचिकाकर्ता द्वारा समान प्रकृति का अपराध करने की कोई संभावना नहीं है।
 
अदालत ने आदेश सुरक्षित कर लिया था : एकल पीठ के आदेश में यह भी उल्लेख किया गया कि अदालत का निष्कर्ष है कि पीएमएलए, 2002 की धारा 45 की शर्त के तहत यह मानने का कारण है कि याचिकाकर्ता आरोपित अपराध का दोषी नहीं है। बचाव पक्ष और ईडी की ओर से दलीलें पूरी होने के बाद अदालत ने आदेश सुरक्षित कर लिया था।
 
वकील ने बताया कि ईडी का पक्ष रख रहे अधिवक्ता जोहैब हुसैन ने एकल पीठ के आदेश के अमल पर 48 घंटे तक रोक लगाने का अनुरोध किया ताकि फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सके लेकिन उच्च न्यायालय ने इस अनुरोध को ठुकरा दिया। सोरेन ने उच्च न्यायालय से मामले की तेजी से सुनवाई करने का अनुरोध किया था।
 
इस बीच, राज्य की झामुमो नीत सरकार में मंत्री और सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन पार्टी के केंद्रीय महासचिव बिनोद पांडेय के साथ जमानत मुचलका भरने की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए दीवानी अदालत पहुंचे। जमानत मुचलके विशेष पीएमएलए न्यायाधीश राजीव रंजन की अदालत में प्रस्तुत किए जाएंगे।
 
आपराधिक मामले में झूठा फंसाया : सोरेन की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने इससे पहले दलील दी थी कि झामुमो नेता को अनुचित तरीके से निशाना बनाया गया है। उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित और मनगढ़ंत मामला करार दिया था। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी सोरेन का अदालत में पक्ष रखा और पूर्व मुख्यमंत्री की जमानत के लिए दलील पेश करते हुए कहा था कि केंद्रीय एजेंसी ने उन्हें एक आपराधिक मामले में झूठा फंसाया है।
 
मुख्यमंत्री पद का दुरुपयोग किया : सोरेन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए ईडी ने आरोप लगाया कि उन्होंने राज्य की राजधानी में बड़गाम अंचल में 8.86 एकड़ जमीन अवैध रूप से हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री के अपने पद का दुरुपयोग किया था। ईडी ने दावा किया कि जांच के दौरान सोरेन के मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद ने स्वीकार किया था कि पूर्व मुख्यमंत्री ने उन्हें उक्त भूखंड के स्वामित्व में बदलाव करने के लिए आधिकारिक आंकड़ों से छेड़छाड़ करने का निर्देश दिया था।
 
ईडी ने दावा किया कि भूखंड पर जब कब्जा किया जा रहा था तब उसके असली मालिक राजकुमार पाहन ने शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन उस पर कभी कार्रवाई नहीं हुई। इसके उलट भूखंड के चारों ओर चाहरदीवारी बना दी गई और और देखरेख करने के लिए एक व्यक्ति को नियुक्त कर दिया गया।
 
केंद्रीय एजेंसी ने बताया कि उसने भूखंड का स्वतंत्र सर्वेक्षण कराया और जमीन की देखरेख की जिम्मेदारी संभाल रहे संतोष मुंडा से पूछताछ की जिसने बताया कि उक्त भूखंड हेमंत सोरेन का है। राजू ने अदालत को बताया कि ईडी ने वास्तुकार विनोद कुमार से पूछताछ की और दावा किया कि प्रस्तावित विवाह घर का नक्शा उनके मोबाइल फोन से मिला है एवं भूखंड का स्थान और माप रांची के बारगेन स्थित भूखंड से मेल खाता है।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

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