शिमला। 1947 में महज 13 वर्ष की अवस्था में हिमाचल राज्य के राजा बने वीरभद्र सिंह इस समय उम्र के 83वें पड़ाव पर हैं। सोमवार को जब चुनाव परिणाम सामने आए तब 68 में से कांग्रेस केवल 21 सीटें ही जीत सकी। भाजपा ने 44 सीटें जीतकर कांग्रेस से यह राज्य छीन लिया। हिमाचल प्रदेश के सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के लिए सत्ता गंवाना एक तरह से उनका राजनैतिक अवसान ही माना जा रहा है।
वीरभद्र सिंह को इसी से संतोष करना होगा कि उन्होंने अर्की विधानसभा सीट से भाजपा के रत्तन सिंह पाल को 6051 मतों से हराकर आठवीं बार जीत दर्ज की। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सातवीं बार राज्य की सत्ता पर काबिज रहने की उम्मीद लगाए हुए थे। उनका राजनीतिक कॅरियर बहुत लंबा रहा है, जो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ शुरू हुआ था।
रामपुर-बुशहर के शाही परिवार के उत्तराधिकारी वीरभद्र ने 1962 में लोकसभा में जीत के साथ राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। वह चार बार लोकसभा सदस्य रहे और अंतिम बार वह 2009 से 2012 के बीच लोकसभा के सदस्य रहे। वह 1983 से सात बार विधानसभा सदस्य रहे, जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
सिंह 1983 और 1985, 1985 और 1990, 1993 और 1998 तथा 2003 और 2007 के बीच मुख्यमंत्री रहे। उनका अंतिम शासन 2012 से शुरू हुआ था। भ्रष्टाचार के आरोपों से उनकी सरकार घिरी रही। हिमाचल में चुनाव नौ नवम्बर को हुए थे। पार्टी के अंदर राज्य कांग्रेस प्रमुख सुखविंदर सिंह सुखु जैसे युवा नेताओं ने भी उनका विरोध शुरू कर दिया था।
लेकिन पहाड़ी राज्य में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए कांग्रेस उनको दरकिनार करने की स्थिति में नहीं थी जहां करीब 50 लाख मतदाता हैं, जिनमें से 15 फीसदी मतदाता 20 और 29 वर्ष के बीच के हैं। हिमाचल के कई लोगों का मानना था कि साक्षरता और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में राज्य के विकास में सिंह का काफी योगदान रहा।
इस बार उनका मुकाबला भाजपा के ठोस प्रबंधन से था जिसका नेतृत्व स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर रहे थे, जो कांग्रेस की राज्य सरकार को जमानती सरकार कहते थे। इससे मोदी का इशारा इस ओर था कि सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह आय से अधिक संपत्ति मामले में जमानत पर हैं जिसकी जांच मई में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने शुरू की थी।
सिंह का जन्म 23 जून 1934 को हुआ था और उनकी शिक्षा शिमला के बिशप कॉटन स्कूल तथा दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में हुई। वर्ष 1947 में 13 वर्ष की अवस्था में वह राज्य के राजा बने। 1961 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद सिंह तीसरी लोकसभा में सबसे युवा सदस्य थे, एक वर्ष बाद वह महासु क्षेत्र से चुने गए तब हिमाचल प्रदेश पंजाब का हिस्सा था। वह फिर 1967 में, 1971 में मंडी से और 1980 तथा 2009 में लोकसभा के लिए चुने गए। इस दौरान वह केंद्र में कई बार मंत्री भी रहे।