नई दिल्ली। भारत और मिस्र ने बुधवार को अपनी द्विपक्षीय भागीदारी को सामरिक गठजोड़ के स्तर पर ले जाने का निर्णय किया तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल सीसी ने समयबद्ध तरीके से रक्षा, सुरक्षा, कारोबार तथा आतंकवाद से निपटने में सहयोग को बढ़ाने का संकल्प व्यक्त किया। दोनों नेताओं ने अगले 5 वर्ष में अपने द्विपक्षीय कारोबार को 12 अरब डॉलर पर ले जाने का निर्णय किया, जो अभी 7 अरब डॉलर है।
दोनों नेताओं ने खाद्य, ऊर्जा और उर्वरक की उपलब्धता पर रूस यूक्रेन संघर्ष के प्रभावों के बारे में भी चर्चा की, साथ ही सीमापार आतंकवादी गतिविधियों सहित आतंकवाद से निपटने को लेकर सतत एवं समन्वित रुख अपनाने पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति अल सीसी के बीच वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने संस्कृति, सूचना प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, युवा मामलों एवं प्रसारण क्षेत्र से जुड़े पांच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इसके अलावा दोनों देशों के बीच संबंधों को सामरिक भागीदारी के स्तर पर ले जाने पर सहमति बनी है जिसमें राजनीतिक, सुरक्षा, रक्षा, ऊर्जा और आर्थिक संबंधों के आयाम शामिल हैं।
बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने अगले पांच वर्ष में अपने द्विपक्षीय कारोबार को 12 अरब डॉलर पर ले जाने का निर्णय किया जो अभी सात अरब डॉलर है। विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति अल सीसी के बीच वार्ता को बेहद सार्थक और गर्मजोशीसे भरा बताया।
मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल-सीसी तीन दिवसीय राजकीय यात्रा पर मंगलवार को यहां पहुंचे हैं। बुधवार को हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति अल सीसी ने कई विषयों पर चर्चा की। बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया बयान में कहा, अरब सागर के एक छोर पर भारत है तो दूसरी ओर मिस्र है। दोनो देशों के बीच सामरिक समन्वय पूरे क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए मददगार होगा।
इसलिए आज की बैठक में राष्ट्रपति सीसी और मैंने हमारी द्विपक्षीय भागीदारी को सामरिक गठजोड़के स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि दोनों ने तय किया है कि भारत-मिस्र सामरिक गठजोड़ के तहत वे राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक एवं वैज्ञानिक क्षेत्रों में और अधिक व्यापक सहयोग का दीर्घकालिक ढांचा विकसित करेंगे।
मोदी ने कहा कि भारत और मिस्र दुनियाभर में हो रहे आतंकवाद के प्रसार से चिंतित है तथा वे एकमत हैं कि आतंकवाद मानवता के लिए सबसे गंभीर सुरक्षा खतरा है। उन्होंने कहा, दोनों देश इस बात पर भी सहमत हैं कि सीमापार आतंकवाद को समाप्त करने के लिए ठोस कार्रवाई आवश्यक है और इसके लिए हम साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सचेत करने का प्रयत्न करते रहेंगे। वहीं मिस्र के राष्ट्रपति अल सीसी ने आतंकवाद पर मोदी के विचारों का समर्थन किया और कहा कि इस बुराई से निपटने में एकजुट प्रयासों की जरूरत है।
उन्होंने कहा, आतंकवाद और कट्टरपंथ से निपटने में हमारे विचार समान हैं। दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग बढ़ाने की भी अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों की सेनाओं के बीच संयुक्त अभ्यास प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के कार्यों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने कहा, हमने आज की बैठक में अपने रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को और मज़बूत करने और आतंकवाद से निपटने संबंधी सूचना एवं खुफिया सूचना का आदान-प्रदान बढ़ाने का भी निर्णय लिया है। मोदी ने कहा कि चरमपंथी विचारधाराओं तथा कट्टरता को फैलाने के लिए साइबर स्पेस का दुरुपयोग एक बढ़ता हुआ संकट है, जिसके खिलाफ भी दोनों देश सहयोग बढ़ाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, आज हमने कोविड और उसके बाद यूक्रेन संघर्ष के कारण प्रभावित हुए खाद्य और दवा आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की दिशा में व्यापक चर्चा की है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हम इन क्षेत्रों में आपसी निवेश और व्यापार बढ़ाने की आवश्यकता पर भी सहमत हुए हैं। हमने मिलकर ये तय किया कि अगले पांच वर्ष में हम अपने द्विपक्षीय व्यापार को 12 अरब डॉलर तक ले जाएंगे।
वहीं विदेश सचिव क्वात्रा ने कहा कि बातचीत के दौरान लिए गए फैसलों को समयबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को सामरिक गठजोड़ के स्तर पर ले जाने के निर्णय के बारे में कहा कि इस संबंध में सहयोग के चार स्तंभों पर जोर होगा, जिसमें राजनीति और सुरक्षा, आर्थिक संपर्क, वैज्ञानिक एवं आर्थिक गठजोड़ तथा संस्कृति एवं लोगों के बीच संपर्क शमिल है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)