जम्मू। भारतीय सेना ने लद्दाख के मोर्चे पर तनाव के लंबा चलने के मद्देनजर अपनी रक्षा तैयारियां आरंभ कर दी हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बातचीत के दौर के साथ साथ चीन द्वारा लद्दाख में एलएसी पर 20 हजार के करीब फौजियों को तैनात कर दिया गया है तथा 10 हजार अतिरिक्त सैनिकों को भी तिब्बत के इलाके से एलएसी तक पहुंचने का फरमान सुना दिया गया है।
रक्षा सूत्रों के बकौल, भारतीय सेना की ओर से भी तीन डिवीजन सेना को लद्दाख के मोर्चे पर तैनात किया जा चुका है। दोनों ही पक्षों द्वारा टैंकों, तोपखानों और एयर डिफेंस रक्षा प्रणाली के तहत मिसाइलों को भी तैनात कर दिया गया है।
हालांकि रक्षाधिकारियों को उम्मीद है कि लद्दाख के मोर्चे पर अब खूनी झड़पें नहीं होंगी, लेकिन बावजूद इसके भारतीय पक्ष ने भी लद्दाख सीमा पर लंबे समय तक टिके रहने की खातिर जो तैयारियां आरंभ की हैं, उनमें सर्दी से बचाव वाले बंकरों और खाइयों व खंदकों का निर्माण भी जोरों पर है।
एक अधिकारी के बकौल, अगर सितंबर से पहले चीनी सेना लद्दाख के 6 के करीब विवादित क्षेत्रों से पीछे नहीं हटी तो भारतीय सेना को सियाचिन व कारगिल के मोर्चे के अनुभव का इस्तेमाल करना होगा। जानकारी के लिए भारतीय सेना के पास उस सियाचिन हिमखंड में लड़ने और रुकना का भी अनुभव है जो दुनिया का सबसे ऊंचाई वाला युद्धस्थल माना जाता है।
1999 के करगिल युद्ध के बाद से ही भारतीय सेना करगिल की उन दुर्गम पहाड़ियों पर काबिज है, जहां का तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे रहता है। ठीक सियाचिन की तरह जहां न्यूनतम तामपान शून्य से 50 डिग्री नीचे भी चला जाता है।
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, चीन की सेना के लद्दाख के मोर्चे पर टिके रहने की स्थिति में भारतीय सेना का खर्चा और बढ़ जाएगा, जिसके लिए रक्षा मंत्रालय केंद्र सरकार से संपर्क में है। दरअसल, लद्दाख के चीनी कब्जे वाले इलाकों में सैनिकों की तैनाती सर्दी में भी करने के लिए सेना ने उपकरण व अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए खरीददारी की भी तैयारी आरंभ कर दी है। इनमें स्नो बूट, ठंड से बचाव करने वाले कपड़े आदि भी शामिल हैं।