भारत-चीन तनाव कहीं तीसरे विश्वयुद्ध की आहट तो नहीं...
सोमवार, 14 अगस्त 2017 (13:55 IST)
भारत-चीन की सीमा पर दोनों ओर से सेनाओं का जमावड़ा इस बात की ओर इंगित करता है कि युद्ध की आशंकाएं बरकरार हैं। अभी भी इस बात की अटकलें हैं कि दोनों देशों की सेनाओं का टकराव भी हो सकता है। इस टकराव से दोनों देशों को नुकसान हो सकता है।
लेकिन संभव है कि 'शठे साठ्यं समाचरेत' को भूलकर भारत वैसी ही उदारता दिखाने लग जाए जैसी कि नेहरूजी ने दिखाई और बाद में उन्हें अपने 'प्यारे पंचशील' और हिंदी-चीनी भाई भाई के बजाय केवल हिंदियों की कब्र देखना पड़ीं। लगता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपनी साख बढ़ाने के लिए मोदी विश्वव्यापी या चीन दौरे पर निकल पड़ें लेकिन आप चीनियों के बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं।
इसलिए अगर दोनों के बीच 'गर्म युद्ध' छिड़ जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि दोनों के बीच 'शीत युद्ध' एक अरसे से चल रहा है। संभव है कि इससे तीसरा विश्वयुद्ध भी छिड़ जाए क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच 'शीत युद्ध' पहले से ही चल रहा है और भारत के गरम रुख ने अमेरिकी प्रशासन को बहुत प्रभावित किया है। लगता है कि अमेरिका को भी भरोसा होने लगा है कि भारत एशिया में बड़ी भूमिका के लिए तैयार है।
साउथ चीन महासागर, गुलाम द्वीप को लेकर चीन और उत्तर कोरिया की धमकियों ने अमेरिका को यह समझने में मदद की है कि चीन और उत्तरी कोरिया भाई-भाई हैं और अगर कोरिया को चीन का समर्थन नहीं होता तो वह अमेरिका सहनशीलता को इस तरह से चुनौती देने का साहस नहीं रखता। अमेरिका को एक मौका चाहिए कि वह उत्तर कोरिया और चीन को सबक सिखा सके।
'महाशक्ति' के ताज और 'विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था' बनने को लेकर दोनों देशों के बीच दौड़ चल रही है। इस कारण से चीन एक ऐसा देश है जिसका सीमा को लेकर अपने सभी पड़ोसी देशों से विवाद चल रहा है। कुछेक देशों, जैसे वियतनाम, के साथ उसका विवाद हिंसक भी रहा है। युद्ध होने की हालत में इनमें से कोई भी देश चीन का साथ नहीं देगा।
चीन का भारत के साथ युद्ध (सीमित या पूर्णकालिक) होता है तो भारत के प्रमुख सहयोगियों में अमेरिका, फ्रांस, इसराइल ऐसे सहयोगी देश होंगे जो कि सारी दुनिया से होंगे। जबकि जापान, दक्षिण कोरिया और वियतनाम जैसे देश एशिया से सहयोगी देश होंगे और ब्रिटेन और रूस जैसे देश तटस्थ रहना पसंद करेंगे क्योंकि ये देश दोनों के मित्र हैं।
ये ऐसे देश हैं जो कि दोनों देशों से रक्षा समझौतों के जरिए मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। ऐसे में, समूची दुनिया के देश दो भागों में बंट जाएंगे और इस तरह भारत को निर्णायक लड़ाई जीतने में भी मदद मिल सकती है। इसके साथ एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि भारत सिक्किम में चीनी क्षेत्र (चीनी मीडिया के अनुसार इस पर भारत ने कब्जा कर रखा है) से भी अपनी सेनाएं नहीं हटाएगा। इस बात को कोई शक नहीं है कि सिक्किम में भारतीय सैनिकों ने अपनी सीमाओं को बढ़ा लिया है।
विदित हो कि चीनी मीडिया में एक तस्वीर वाइरल हो रही है और यह काफी दिनों से दिखाई जा रही है ताकि इसे देखकर सरकार पर कार्रवाई के लिए दबाव डाला जा सके। उनका कहना है कि भारत ने सिक्किम सीमा का उल्लंघन किया है।