नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीएपी) को जारी किया। इसमें तीनों सेनाओं को उनकी अभियान संबंधी जरूरतों के अनुसार हेलीकॉप्टर, सिमुलेटर और परिवहन विमानों जैसे सैन्य उपकरणों और प्लेटफॉर्म को लीज (किराए) पर लेने की अनुमति प्रदान की गई।
सरकारों के बीच करारों, एकल विक्रेता के साथ अनुबंधों और अंतर-सरकारी समझौतों की रूपरेखा के तहत खरीद की ऑफसेट जरूरतों को समाप्त करने का फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब कुछ दिन पहले ही नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने ऑफसेट नीति के खराब क्रियान्वयन को लेकर नाराजगी प्रकट की थी।
ऑफसेट नीति के तहत विदेशी रक्षा उत्पादन इकाइयों को 300 करोड़ रुपए से अधिक के सभी अनुबंधों के लिए भारत में कुल अनुबंध मूल्य का कम से कम 30 प्रतिशत खर्च करना होता है। उन्हें ऐसा कलपुर्जों की खरीद, प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण या अनुसंधान और विकास इकाइयों की स्थापना करके करना होता है।
रक्षा मंत्रालय में अधिग्रहण महानिदेशक अपूर्व चंद्रा ने कहा कि डीएपी 2020 के अनुसार एकल विक्रेता, सरकार से सरकार के बीच और अंतर-सरकारी समझौतों के तहत सौदों में ऑफसेट लागू नहीं होगा। प्रतिस्पर्धी निविदा वाले अनुबंधों में ऑफसेट नीति लागू रहेगी।