विदेश मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार यह तीसरी घटना है, जब भारत के नागरिकों को भारतीय दूतावास के अधिकारियों से मिलने नहीं दिया गया जबकि पाकिस्तान सरकार ने उन्हें वीजा दिया था।
21 और 22 नवंबर को भारतीय दूतावास के अधिकारी जब इन 2 गुरुद्वारों में भारतीय सिख श्रद्धालुओं से मिलना चाहते थे तो उन्हें सुरक्षा के नाम पर मिलने नहीं दिया गया जिसके कारण वे वापस लौट गए। विज्ञप्ति में कहा गया है कि पाकिस्तान का यह कदम वियेना समझौते का ही नहीं बल्कि 1974 के द्विपक्षीय प्रोटोकॉल और दूतावास कर्मियों की आचार संहिता 1992 का भी उल्लंघन है।
विज्ञप्ति के अनुसार पाकिस्तान को यह भी बताया गया है कि जब वहां से श्रद्धालु भारत आते हैं तो उसके दूतावास अधिकारियों के साथ भारत ऐसा व्यवहार नहीं करता, तो भारतीय दूतावास अधिकारियों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है? इसलिए भारत ने कड़ी आपत्ति पाकिस्तान के सामने दर्ज कराई है और चेतावनी दी है कि वह सांप्रदायिक समरसता भंग न करे और विघटनकारी ताकतों को बढ़ावा न दे। इसके साथ ही भारत के विरुद्ध दुष्प्रचार न करे।
गौरतलब है कि गुरुवार को मंत्रिमंडल ने गुरु नानक जयंती मनाने को मंजूरी दी जिसके तहत सरकार देश-विदेश में यह जयंती धूमधाम से मनाएगी और पाकिस्तान के करतारपुर साहिब में भारतीय श्रद्धालुओं के जाने के लिए सीमा पर एक टर्मिनल भी बनाया जाएगा और पाकिस्तान सरकार से भी एक ऐसा ही टर्मिनल बनाने का अनुरोध किया जाएगा। (वार्ता)