नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे संघर्ष की पृष्ठभूमि में भारत ने एक बड़ा फैसला लिया है। ऐसी खबरें हैं कि भारत रूस में होने वाले बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भाग नहीं लेगा जहां चीन के अलावा पाकिस्तान की सेना भी हिस्सा लेने जा रही है। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत अपने इस फैसले के बारे में रूस को जल्द बता सकता है। इस मिलिट्री एक्सरसाइज को Kavkaz-2020 नाम दिया गया है।
इससे पहले खबरें थीं कि भारत तीनों सेनाओं की एक टुकड़ी को अगले महीने बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास में शामिल होने के लिए रूस भेजेगा जिसमें चीन, पाकिस्तान और एससीओ के कुछ और सदस्य देश शामिल होंगे। हालांकि अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भारत इससे पीछे हट सकता है।
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, साउथ ब्लॉक में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई थी जिसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा स्टाफ के प्रमुख जनरल बिपिन रावत मौजूद थे। बैठक के बाद यह चर्चा की गई थी कि ऐसी बहुपक्षीय बैठक में भाग लेना सही नहीं होगा जहां चीनी और पाकिस्तानी सैन्यकर्मी भी मौजूद रहेंगे।
रूस ने 10 सितंबर को एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर को भी आमंत्रित किया है।15 से 26 सितंबर तक दक्षिण रूस के अस्त्राखान इलाके में आयोजित होने वाले सैन्याभ्यास में भाग लेने वाले भारतीय दल में सेना के करीब 150 जवान, भारतीय वायुसेना के 45 कर्मी और कई नौसैनिक अधिकारी भाग लेने वाले थे।
भारत के तीनों सेनाओं के एक दल ने जून में मॉस्को में ऐतिहासिक रेड स्क्वॉयर पर आयोजित विक्ट्री डे परेड में हिस्सा लिया था। इसमें चीन की एक टुकड़ी ने भी भाग लिया था। रूस पहले ही कह चुका है कि भारत और चीन को वार्ता के जरिए सीमा विवाद का समाधान निकालना चाहिए और दोनों देशों के बीच सकारात्मक साझेदारी क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।