हमले की तैयारी में जुटी भारतीय सेना, कारगिल युद्ध के बाद कई बार सिखा चुके हैं पाक को सबक

सुरेश डुग्गर
शनिवार, 23 फ़रवरी 2019 (11:31 IST)
जम्मू। पुलवामा हमले के बाद एलओसी क्रास कर ‘हमला’ करने की तैयारियों में जुटी भारतीय सेना की यह कार्रवाई पहली बार नहीं होगी। उड़ी हमले के बाद की गई कार्रवाई भी पहली नहीं थी बल्कि कारगिल युद्ध के बाद से ही भारतीय सेना ऐसी कार्रवाइयां करने पर मजबूर हुई थी जिसमें उसे हर बार एलओसी क्रास करनी पड़ी थी लेकिन यह सब इतने गुपचुप तरीके से हुआ था कि आज भी भारतीय सेना ऐसी कार्रवाइयों पर खामोशी ही अख्तियार किए हुए है।
 
उड़ी हमले के बाद पाक कब्जे वाले कश्मीर में घुस कर 50 से अधिक आतंकियों को ढेर करने वाला सर्जिकल ऑपरेशन एलओसी पर भारतीय सेना द्वारा अंजाम दिया गया हमला कोई पहला नहीं था। इससे पहले भी कारगिल युद्ध के बाद कई बार भारतीय सेना ने तब-तब एलओसी को पार किया था जब-जब पाक सेना ने भारतीय जवानों को मारा था या फिर उसके द्वारा इस ओर भेजे गए आतंकियों ने देश में कहर बरपाया था।

उड़ी घटनाक्रम की खास बात बस इतनी ही थी कि भारतीय सेना ने यह पहली बार आन रिकार्ड स्वीकार किया था कि उसने उस एलओसी को पार किया है जिसे उसने करगिल युद्ध में मौका होने के बावजूद पार नहीं किया था।
 
अगर रक्षा सूत्रों की मानें तो सबसे पहले भारतीय सेना ने उस समय एलओसी को लांघा था जब पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध में भी मुंह की खाई तो उसने एलओसी पर स्थित उन भारतीय चौकियों पर बैट हमले आरंभ किए थे जहां दो या तीन जवान ही तैनात होते थे।
 
सूत्रों के मुताबिक, ऐसे कई हमलों में पाक सेना ने आतंकियों के साथ मिल कर कई भारतीय जवानों को नुक्सान पहुंचाया था और बदले की कार्रवाई जब हुई तो भारतीय सेना को भी एलओसी लांघने पर मजबूर होना पड़ा और पाक सेना को बराबर की चोट पहुंचाने में कामयाबी पाई गई।
 
इसके बाद जब आतंकियों ने संसद पर हमला बोला था। यह हमला 13 दिसम्बर 2001 को हुआ तो उसके तुरंत बाद सीमाओं पर फौज लगा दी गई थी। पाक सेना ने कई सेक्टरों में मोर्चा खोला और बैट हमले आरंभ कर दिए थे। ऐसे में दुश्मन को सबक सिखाने की खातिर एलओसी को लांघने की अनुमति स्थानीय स्तर पर दी गई।
 
सूत्रों पर विश्वास करें तो सबसे ज्यादा नुक्सान भारतीय सेना ने, कालू चक नरंसहार, नायक हेमराज सिंह के सिर काट कर ले जाने की घटना और वर्ष 2013 के अगस्त महीने में पाक सेना द्वारा सीमा चौकी को कब्जाने के प्रयास में पांच सैनिकों की हत्या कर दी गई थी, पाक सेना को पहुंचाया था और भारतीय जवानों ने कई बार एलओसी को लांघ कर उस पार हमले बोले थे। जानकारी के लिए एलओसी जमीन पर खींची गई कोई रेखा नहीं है बल्कि एक अदृश्य रेखा है जिसको लांघना कोई मुश्किल भी नहीं है दोनों पक्षों के लिए।
 
वर्ष 2002 के मई महीने की 14 तारीख को कालू चक में पाक आतंकियों ने जो कहर बरपाया था उसमें 34 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में सैनिकों के परिवार के सदस्य ही थे जिनमें औरतें और बच्चे भी शामिल थे। इसके बाद वर्ष 2013 में दो घटनाएं हुई थीं। एक 6 अगस्त को और दूसरी 8 जनवरी को। एक में पाक सेना ने पांच जवानों को मार डाला था और दूसरी में हेमराज का सिर काट कर पाक सैनिक अपने साथ ले गए थे। ऐसे हमलों का बदला ले लिया गया था।

सेना ने तब दावा किया था कि पाक सेना को माकूल जवाब दे दिया गया है। हालांकि तब भी यह नहीं माना गया था कि बदला लेने के लिए एलओसी को लांघा गया था।
 
पहली बार एलओसी को लांघ कर पाकिस्तान के घर पर हमला बोलने की घटना को स्वीकार करने के बाद भारतीय सेना पर हमलावर और आक्रामक सेना का ठप्पा जरूर लगा है लेकिन इसने अगर भारतीय जवानों के मनोबल को बढ़ा दिया है तो पाकिस्तानी सेना के पांव तले से जमीन खिसका दी है जो अभी तक भारतीय पक्ष को सिर्फ रक्षात्मक सेना के रूप में लेती रही थी।

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