इस परियोजना की अनुमानित लागत 3,500 करोड़ रुपए से अधिक है। इसका प्रमुख उद्देश्य आसमान से दुश्मन पर निगाह रखना और जरूरत पड़ने पर आक्रामक कार्रवाई कर देश की सीमा में होने वाले जान-माल के नुकसान को कम करना है।
इस महत्वपूर्ण परियोजना में दुश्मन के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई करने के लिए हवाई ड्रोन्स को अपग्रेड करना है। इस प्रोजेक्ट में थलसेना, वायुसेना और जलसेना, तीनों ही सशस्त्र सेवाओं के 90 हेरॉन ड्रोन को लेजर-गाइडेड बम, एयर टू ग्राउंड और एयर-लॉन्च एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों से लैस किया जाएगा।
परियोजना को पुनर्जीवित करने का प्रस्ताव नवगठित उच्च स्तरीय रक्षा मंत्रालय समिति को भेजा गया है और इसकी अध्यक्षता अजय कुमार करेंगे। अजय कुमार वर्तमान में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के सभी खरीद के प्रमुख हैं।
इस परियोजना में इसराइल में निर्मित बेहद उन्नत तकनीक वाले खतरनाक ड्रोन (मानवरहित हवाई वाहन) हेरॉन (बगुला) का इस्तेमाल किया जाएगा। हेरॉन मानव रहित हवाई वाहन एक मध्यम ऊंचाई वाला यूएवी है और यह 250 किलोग्राम तक वजन उठा सकता है, जिसमें थर्मोग्राफिक कैमरा, एयरबोर्न ग्राउंड निगरानी दृश्य प्रकाश शामिल है।