इस खबर की पुष्टि के आग्रह पर रक्षा मंत्रालय और बीजिंग में विदेश मंत्रालय की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। विश्व के सबसे व्यस्ततम व्यापार मार्गों में से एक दक्षिण चीन सागर पर नियंत्रण को लेकर बढ़ते विवाद बीजिंग के वॉशिंगटन और उसके दक्षिणी पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते में लगातार कड़वाहट पैदा कर रहे हैं।
ट्रंप प्रशासन ने विवादित क्षेत्र के ज्यादातर हिस्से पर संप्रभुता के बीजिंग के दावों को इस साल खारिज कर दिया था। इसके कुछ हिस्सों पर वियतनाम, फिलीपीन और अन्य देश की सरकारें भी दावा करती हैं। बुधवार को किए गए ये परीक्षण चीन की उस शिकायत के बाद आए हैं जिसमें उसने कहा था कि अमेरिकी यू2 जासूसी विमान बीजिंग द्वारा घोषित नो फ्लाई जोन में घुस आया था।
डीएफ-21 का निशाना असामान्य रूप से सटीक होता है और इसे सैन्य विशेषज्ञ कैरियर किलर कहते हैं जिनका मानना है कि इसे उन अमेरिकी विमानवाहकों को निशाना बनाने के लिए विकसित किया गया है, जो चीन के साथ संभावित संघर्ष में शामिल हो सकते हैं।
बीजिंग ने पिछले 2 दशक में मिसाइलों, लड़ाकू विमानों, परमाणु पनडुब्बियों और अन्य हथियारों को विकसित करने की कोशिश में खूब खर्च किया है ताकि वह अपनी सीमाओं से परे भी अपनी सेना को विस्तार दे सके। खबर में बताया गया कि डीएफ-26बी को उत्तर-पश्चिमी प्रांत किंगहाई से जबकि डीएफ-21डी को पूर्वी तट पर शंघाई के दक्षिण में स्थित जेझियांग प्रांत से प्रक्षेपित किया गया। (भाषा)