इस्तांबुल पहुंचने के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रहने वाले अन्य लोगों के साथ वह आईएसआईएस के नियंत्रण वाले इराकी क्षेत्र में चला गया। वहां उसे मोसुल ले जाया गया, जहां उसने विस्तृत धार्मिक प्रशिक्षण हासिल किया और उसके बाद स्वचालित हथियारों के एक पाठ्यक्रम सहित युद्ध का प्रशिक्षण लिया, फिर उसे करीब 2 सप्ताह तक युद्ध लड़ने के लिए तैनात किया गया।
उसने पूछताछ करने वालों को बताया कि युद्ध के दौरान रहने और खाने के अलावा आईएसआईएस ने उसे भत्ते के रूप में 100 अमेरिकी डॉलर प्रतिमाह का भुगतान किया। उसने बताया कि वह मोसुल में हिंसा और युद्ध की पीड़ा नहीं सह सका, खासकर तब जब उसने अपने दो दोस्तों को जलते हुए देखा तो उसने वहां से जाने का निर्णय लिया। (भाषा)