ईद से पहले जैश-ए-मुहम्मद कर सकता है घातक हमला

सुरेश एस डुग्गर
मंगलवार, 29 अगस्त 2017 (21:00 IST)
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में जबरदस्त दहशत का माहौल है क्योंकि आतंकियों की मदद को आगे आए जैश-ए-मुहम्मद के घातक हमले के बाद ये सूचनाएं माहौल को और दहशतजदा कर रही हैं कि जैश के आतंकी ईद से पहले पुलवामा में किए गए हमले से भी घातक हमला कर सकते हैं। अतीत में जैश के खाते में कई घातक हमले पहले से ही दर्ज हैं।
 
बताया जा रहा है कि राज्य में आतंकी ईद से पहले किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं। खबरें आ रही हैं कि आतंकी सुरक्षाबलों के ठिकानों को निशाना बनाने की फिराक में हैं, इसके लिए आतंकियों ने प्लान बनाया है। आतंकियों के एक मैसेज को सुरक्षाबलों ने इंटरसेप्ट किया है, जिसके आधार पर यह जानकारी मिली है।
 
इस सूचना के बाद सुरक्षाबलों ने भी आतंकियों की इस नापाक साजिश को नाकाम करने की तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों के हवाले से खबरें आ रही हैं कि सुरक्षाबलों ने एक मैसेज ट्रेस किया है जिसके अनुसार ईद के मौके पर सुरक्षाबलों की कुर्बानी देने की बात सामने आ रही है।
 
सूत्रों के अनुसार आतंकियों का पुलवामा पुलिस लाइन पर हमले की तरह फिर से हमला करने का प्लान है। जानकारी के मुताबिक कुछ दिन पहले ही जैश-ए- मुहम्मद के आतंकियों का फिदायीन दस्ता जिसमें लगभग एक दर्जन फिदायीन शामिल हैं, घुसपैठ करके कश्मीर पहुंच चुका है।
 
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भी दावा किया है कि हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के टॉप कमांडरों को मार दिए जाने से आतंकवादियों के सरगना अब जैश-ए-मुहम्मद को आगे लाने पर मजबूर हुए हैं और वे हताशा में कश्मीर के कई इलाकों हमलों को अंजाम दे रहे हैं। 
 
पुलवामा की जिला पुलिस लाइन में शनिवार को आत्मघाती हमले में पुलिस और अर्द्धसैनिक बल के 9 लोग शहीद हुए। जवाबी कार्रवाई में 3 आतंकवादी ढेर कर दिए गए। हालांकि यह हमला सुरक्षा बलों के लिए ‘हैरान करने वाला’रहा, जो खासतौर से दक्षिण कश्मीर में मुठभेड़ों के बाद सर्च ऑपरेशन और घेराबंदी की रोजमर्रा की कवायद में जुटे थे।
 
जैश-ए-मुहम्मद आत्मघाती हमलों के लिए कुख्यात है और पिछले कुछ वर्षों में वह उत्तरी कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में ही सक्रिय रहा है। हालांकि अब वह हाथ-पैर पसारता दिख रहा है। कश्मीर पुलिस के आईजी मुनीर खान ने कहा कि हिज्ब और लश्कर के लोकल कमांडर्स को ढेर कर दिए जाने के बाद आतंकवादी अब जैश की मदद ले रहे हैं। 
 
खान ने कहा कि साउथ कश्मीर, खासतौर से त्राल, पुलवामा और शोपियां इलाकों में जैश के सक्रिय आतंकवादियों की संख्या 10-12 होगी। हालांकि खान ने कहा कि इस तरह के हमले 1990 के दशक से हो रहे हैं और इनसे सुरक्षाबलों पर दबाव नहीं बन सकता है।
 
कई पुलिस अधिकारियों का मानना है कि पुलवामा अटैक सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चिंता का विषय नहीं होना चाहिए क्योंकि अभी आतंकवादी बैक फुट पर हैं। शोपियां जिले के एसएसपी एसएस दिनकर ने कहा कि यह हमला हताशा में किया गया है क्योंकि उनके कई कमांडर मारे जा चुके हैं। इस हमले से जमीनी हकीकत नहीं बदल सकती है और न ही इस लड़ाई का पलड़ा उनकी ओर झुकेगा।
 
आतंकवाद विरोधी अभियानों में विशेषज्ञता रखने वाले एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि पुलवामा हमले को सीमावर्ती इलाकों में जैश की ओर से होने वाले हमलों की कड़ी के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि पुलवामा में हमला अफजल गुरू के गिरोह ने किया हो, जिसे जैश ने 2013 में तिहाड़ में अफजल को फांसी दिए जाने के बाद बनाया था। पुलवामा जिले के एसपी मुहम्मद असलम ने बताया कि पुलवामा अटैक में शामिल अबू साद, दाऊद और अबू बकर कम से कम 45 दिनों से दक्षिण कश्मीर में थे।

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