जावेद अख्तर ने शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखे एक लेख में कहा कि हिंदू दुनिया में सबसे सभ्य और सहिष्णु बहुसंख्यक हैं। उन्होंने कहा कि भारत कभी अफगानिस्तान नहीं बन सकता क्योंकि भारतीय स्वाभाविक रूप से कट्टरपंथी नहीं हैं। उदार होना और संतुलित रुख अपनाना डीएनए में है।
उल्लेखनीय है कि संघ और विश्व हिंदू परिषद की तालिबान से तुलना करने के बाद, जावेद अख्तर को सामना की आलोचना झेलनी पड़ी थी। उन्होंने कहा था कि बेशक, तालिबान बर्बर है और उनकी हरकतें निंदनीय हैं, लेकिन आरएसएस, विहिप और बजरंग दल का समर्थन करने वाले भी वही हैं।
6 सितंबर को सामना ने एक संपादकीय प्रकाशित किया था जिसमें उन्होंने जावेद अख्तर की आलोचना करते हुए कहा था कि आरएसएस-विहिप को तालिबान से जोड़ना हिंदू संस्कृति का अपमान करने जैसा है।