JNU का लिफ्टमैन 52000 का, माली 35000 का

गुरुवार, 17 मार्च 2016 (19:59 IST)
राजधानी दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) परिसर से समानता के समर्थन में, पूंजीवाद और सामंतवाद के खिलाफ, यहां तक कि देश के खिलाफ भी नारे गूंजते हैं, उसी विश्वविद्यालय के कर्मचारियों का वेतन देख लें तो आपको लगेगा कि आखिर यह कैसी समानता है?
सूचना के अधिकार के तहत JNU में जारी एक दस्तावेज में विश्वविद्यालय में कार्यरत लोगों की सूची और उनके वेतन के बारे में जानकारी दी गई है। फाइनेंस और एकाउंट विभाग द्वारा इस सूची के मुताबिक विश्वविद्यालय में 1780 कर्मचारी कार्यरत हैं। हालांकि यह सूची मई 2015 की है। अत: अब इस संख्या में कमी-बेशी हो सकती है। 
 
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों JNU परिसर में राष्ट्रविरोधी गूंजे थे, साथ ही छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने भी अपने भाषण में कहा था कि समानता के लिए, पूंजीवाद के खिलाफ, सामंतवाद के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी।
 
आश्चर्य इस बात का है कि जिस विवि में एक लिफ्टमैन को 52 हजार रुपए मिल रहे हों, वहीं बाहर 10 से 15 हजार रुपए में एक लिफ्टमैन काम करता है। संभवत: इस असमानता पर कन्हैया का ध्यान ही नहीं गया या फिर राजनीति की चाशनी में डूबे इन महाशय ने कभी इस ओर देखने की कोशिश ही नहीं की।  
 
जेएनयू के कर्मचारियों और शिक्षकों के वेतन पर नजर डालें तो हर किसी को ईर्ष्या हो सकती है। यहां माली को 35 हजार रुपए तक मिलते हैं, जबकि निजी सचिव 62 हजार 263 प्रतिमाह कमाती हैं। लाइब्रेरियन को यहां 1 लाख 72 हजार 544 रुपए मिलते हैं, जबकि प्रोफेसर्स डेढ़ लाख से ज्यादा वेतन पाते हैं। कई प्रोफेसर्स तो यहां 2 लाख रुपए से ज्यादा वेतन पाते हैं। 
 
इसको देखकर मन में सहज सवाल उठता है कि क्या इन 'भरे पेट' के लोगों की 'समानता' की आवाज देश की आम जनता तक पहुंच पाएगी, या फिर यह नारेबाजी या चंद जुमलों में सिमटकर रह जाएगी?
 
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