2009 में दिल्ली के जिगिशा हत्यांकाड के दो आरोपियों को फांसी और एक को दिल्ली की साकेते कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। आरोपी रवि कपूर और अमित शुक्ला को फांसी और बलजीत मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई। जिगिशा हत्यांकाड की सुनवाई कर रही एक अदालत ने तीन दोषियों को कितनी सजा दी जाए, इस पर शनिवार को आदेश सुरक्षित रख लिया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने दोषी करार दिए गए रवि कपूर, अमित शुक्ला और बलजीत सिंह मलिक की सजा तय करने के लिए 22 अगस्त की तिथि तय की थी। लोक अभियोजक राजीव मोहन ने अदालत से दोषियों को मौत की सजा देने का आग्रह किया, क्योंकि इन अपराधियों ने कोई अफसोस नहीं जताया है।
अदालत ने 14 जुलाई को तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), धारा 201 (सबूत मिटाने), धारा 364 (हत्या करने के लिए अपहरण), धारा 394 (डाका डालने के दौरान जानबूझकर चोट पहुंचाने का कारण बनना), धारा 468 (धोखा देने के लिए जालसाजी), धारा 471 (फर्जी दस्तावेज को असली रूप में या इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड के रूप में इस्तेमाल करना), धारा 482 (संपत्ति के नकली मुहर का इस्तेमाल करना) और धारा 34 (समान इरादा) के तहत दोषी माना है।
जिगिशा (28) हेवेट एसोसिएट प्राइवेट लिमिटेड में संचालन प्रबंधक के पद पर थी। उसका 18 मार्च, 2009 को दफ्तर की गाड़ी से दक्षिण दिल्ली के वसंत विहार इलाके में स्थित घर के पास उतरने के बाद सुबह लगभग चार बजे अपहरण कर लिया गया था। उसका शव 20 मार्च को हरियाणा में सूरजकुंड के पास मिला था। बाद में पुलिस ने कपूर, शुक्ला और मलिक को इस मामले में गिरफ्तार किया था।