भोपाल। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में कमलनाथ के नाम पर मोहर लगाकर मध्यप्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के रूप में उनका रास्ता साफ कर दिया। इस फैसले से जहां एक ओर कमलनाथ समर्थक बेहद खुश हैं लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को निराश कर दिया है। जानिए क्यों चुना गया कमलनाथ को मुख्यमंत्री...
अनुभव : कमलनाथ मध्यप्रदेश में कांग्रेस के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक माने जाते हैं। उनमें जबरदस्त संगठन क्षमता है। दूसरी ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी का युवा चेहरा है और उन्हें भविष्य का चेहरा माना जा रहा है। इसी वजह से कमलनाथ का कद ऊंचा हो गया और वे ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भारी पड़े।
कमल vs कमलनाथ : कांग्रेस पार्टी ने भले ही कमलनाथ को विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में उन्हें पेश नहीं किया हो, लेकिन यह मुकाबला कमल और कमलनाथ के बीच माना जा रहा था। ऐसे में भाजपा को हराने का ज्यादा श्रेय भी कमलनाथ को ही गया। सीएम शिवराज ने भी कमलनाथ को ही कांग्रेस की जीत की बधाई दी थी।
लोकसभा चुनाव : पांच महीनों बाद पार्टी को एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरना है। इस बार मुकाबला शिवराज से नहीं बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी से है। ऐसे पार्टी को मध्यप्रदेश में एक ऐसे नेता की जरूरत थी, जो सभी को साथ लेकर चल सके। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कमलनाथ की सफलता को देखते हुए पार्टी ने उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी।
गांधी परिवार से कमलनाथ का कनेक्शन : पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी उन्हें अपना तीसरा बेटा मानती थी क्योंकि जब वे बुरे दौर में थी, तब कमलनाथ ने उनका साथ दिया था। यह बात भी कमलनाथ के पक्ष में गई। कमलनाथ के नेतृत्व में इस चुनाव में कांग्रेस ने महाकौशल में जबरदस्त प्रदर्शन किया।
दिग्विजय सिंह का समर्थन : कमलनाथ मुख्यमंत्री के रूप में दिग्विजय सिंह की भी पहली पसंद थे। दिग्विजय, कमलनाथ और सिंधिया ने मिलकर प्रदेश में पार्टी की जीत की रणनीति बनाई थी। दिग्विजय का साथ मिलने से कमलनाथ की राह आसान हो गई।