कुख्यात अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद कानपुर मुठभेड़ से जुड़े ऐसे राज भी अब हमेशा के लिए दफन हो गए जिसको विकास के कबूलनामे से पूरा देश जनाना चाह रहा था। 2-3 जुलाई की रात विकास दुबे ने अपने गांव में जिस तरह 8 पुलिसकर्मियों की बेरहमी से हत्या कर दी थी और आराम से वहां से फरार हो गया था, इसके 7 दिन बाद उत्तर प्रदेश की हाईटेक पुलिस की आंखों में धूल झोंकते हुए वह कैसे कानपुर से करीब 700 किलोमीटर मध्यप्रदेश के उज्जैन पहुंचा गया, यह सवाल भी अब विकास दुबे की मौत के साथ दफन हो गया है।
जिस कुख्यात अपराधी विकास दुबे की तलाश में उत्तर प्रदेश पुलिस की सैंकड़ों टीमें खाक छान रही थी, वह कैसे 8 पुलिसकर्मियों की हत्याकांड के बाद उत्तर प्रदेश की सीमा के बाहर निकलने में कामयाब हो गया? क्या विकास दुबे को पुलिसकर्मियों की हत्याकांड के बाद भी राजनीतिक संरक्षण मिला हआ था? क्या अब भी यूपी पुलिस के हर मूवमेंट की जानकारी विकास दुबे को पहले से मिल जा रही थी? 60 जघन्य अपराधों में आरोपी विकास दुबे किनकी मदद से करीब 30 साल तक बैखोफ होकर अपनी सत्ता चलाता रहा है? यह कुछ ऐसे सवाल है जिनके जवाब मोस्टवांटेड विकास दुबे के कफन में जाने के साथ दफन हो गए है।
विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर कानपुर पुलिस के आधिकारिक बयान के मुताबिक उज्जैन से कानपुर लाने के दौरान भौंती के पास जिस गाड़ी में विकास सवार था वह हादसे का शिकार हो गई है। हादसे में घायल होने के बाद कुख्यात अपराधी विकास दुबे ने पुलिसकर्मी की पिस्टल छीन कर भागने की कोशिश की, इस दौरान पुलिस की टीम ने उसको घेरकर आत्मसर्मपण करने को कहा इस पर उसने जवाबी फायरिंग कर दी, एसटीएफ की फायरिंग में विकास दुबे गंभीर रूप से घायल हुआ जिसके बाद उसे इलाज के लिए कानपुर के हैलेट अस्पताल में जाया गया जहां इलाज के दौरान विकास की मौत हो गई।