थिंक टैंक 'ग्लोबल काउंटर टेरोरिज्म काउंसिल' की ओर से यहां 'सिन्धु नदी जल समझौते' पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि कश्मीर मसले में कश्मीरी पंडित भी पक्षकार हैं, जिन्हें करीब ढाई दशक पहले घाटी से पलायन करने पर मजबूर किया गया था। सिर्फ कश्मीरी पंडित ही नहीं बल्कि आम कश्मीरी, घाटी का सिख समुदाय और जम्मू तथा लद्दाख क्षेत्र के लोग भी पक्षकार हैं और सरकार इन सबसे पहले से बातचीत कर रही है।
अलगाववादियों को आड़े हाथों लेते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि उनकी कोई 'प्रतिबद्धता' नहीं है बल्कि वे 'सुविधा' के हिसाब से चलते हैं। अलगाववादी दोहरे मापदंड अपनाते हैं। वे भारतीय संविधान की सारी सुविधाओं का फायदा तो उठाते हैं लेकिन संविधान को स्वीकार नहीं करते। किसी दल का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विपक्षी दल सत्ता से बाहर होते ही कश्मीर का राग अलापना शुरू कर देते हैं।