दिल्ली से काठमांडू तक रेल दौड़ाने की तैयारी

गुरुवार, 3 मार्च 2016 (18:25 IST)
नई दिल्ली। भारत ने नेपाल की राजधानी काठमांडू तक रेलवे लाइन बिछाने की योजना बनाई है और रेल बजट 2016-17 में इस 359 किलोमीटर लाइन के सर्वेक्षण के लिए 54 लाख रुपए का आवंटन भी किया है। 
चीन ने भी पिछले साल तिब्बत की राजधानी ल्हासा से काठमांडू तक 340 किलोमीटर हाईस्पीड रेल लाइन बिछाने की योजना का खुलासा किया था। यह प्रस्तावित रेल लाइन माउंट एवरेस्ट के समीप पहाड़ों में लंबी-लंबी सुरंगों को खोदकर बिछाने की योजना है।
 
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की 19-24 फरवरी तक हुई भारत यात्रा के तुरंत बाद 25 फरवरी को संसद में रेलमंत्री सुरेश प्रभु द्वारा पेश रेल बजट 2016-17 में पूर्वोत्तर रेलवे के अधीन उत्तरप्रदेश के गोंडा जिले के बढ़नी से काठमांडू तक 359 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन बिछाने की परियोजना को स्वीकृति दी गई है। इस परियोजना के सर्वेक्षण के लिए 54 लाख रुपए का भी प्रावधान किया गया है।
 
उल्लेखनीय है कि यह लाइन बढ़नी से कपिलवस्तु और लुम्बिनी होते हुए काठमांडू तक बिछाने का प्रस्ताव है। इस रेलवे लाइन के बनने से दो अत्यंत महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थ रेलवे लिंक से जुड़ेंगे। यह रेलवे लाइन नेपाल के एक और महत्वपूर्ण पर्यटन आकर्षण चितवन राष्ट्रीय वन उद्यान के समीप से भी गुजरेगी। इससे भारत एवं नेपाल के पर्यटन को बहुत लाभ होगा।
 
सूत्रों के अनुसार रेलवे लाइन को बिछाने के लिए भारत आर्थिक संसाधन जुटाएगा जबकि भूमि अधिग्रहण नेपाल सरकार करेगी। इस रेलवे लाइन से नेपाल को भारत से तेल और माल का परिवहन भी आसान होगा। सूत्रों ने बताया कि जल्द ही नेपाल के अधिकारियों के साथ मिलकर इस रेल लाइन का सर्वेक्षण शुरू किया जाएगा। 
 
चीन के सरकारी मीडिया में आई खबरों के मुताबिक चीन ल्हासा से काठमांडू तक 340 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन बिछाएगा। इस रेलवे लाइन का निर्माण 2020 तक पूरा होने की बात कही गई है, लेकिन इसकी लागत नहीं बताई गई है। भारत ने भी बढ़नी-काठमांडू रेल लाइन की लागत नहीं उजागर की है। 
 
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में गिलगित-बाल्टिस्तान होकर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर भारत के आपत्ति जताए जाने के बाद चीन ने पिछले साल भारत को चीन-नेपाल-भारत आर्थिक गलियारे एवं रेल परिवहन गलियारे का भी प्रस्ताव किया है। (वार्ता) 

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