इस पर त्यागी ने कहा कि वे आज के दिन हल्की-फुल्की बातें ही कहेंगे। उन्होंने कहा कि स्वभाव से मैं बागी हूं। भगवान की बात तो कभी-कभार मान लेता हूं लेकिन हुक्मरानों के आदेश तो मैं मानता नहीं। मैं आपके दायरे बाहर हूं इसलिए लंबे-लंबे भाषण दूंगा। खूब असंसदीय भाषा का प्रयोग करूंगा और बाहर जाकर धारा 144 तोड़ूंगा। इस पर सदन में ठहाका फूट पड़ा।
उन्होंने कहा कि राजनीति में विचारधारा की लड़ाई है और इसे अपने-अपने तरीके से सब जारी रखते हैं। उन्होंने वित्तमंत्री अरुण जेटली को अपना पुराना मित्र बताते हुए कहा कि अपना इतना तो फर्ज निभाओ, सांसदों के पेंशन के पैसे बढ़वा दो।
त्यागी ने अपनी बात इस एक शे'र के साथ खत्म की-
माना कि इस जमीं को न गुलजार कर सके,
कुछ ख़ार कम तो कर गए, गुजरे जिधर से हम।
कांग्रेस के हनुमंत राव को भाषण के दौरान सभापति से डांट सुननी पडी। वे नियत समय में अपना भाषण समाप्त नहीं कर सके। अंसारी ने उनसे बार-बार बैठने की अपील की लेकिन वे अनसुनी करते रहे। इस पर सभापति ने उनको तेज स्वर में बैठने का निर्देश दिया और उनका भाषण रिकॉर्ड में नहीं जाने के निर्देश दिए।