तीसरे फ्लीट सपोर्ट शिप का ‘कील लेइंग’ समारोह, भारतीय नौसेना को सौंपा गया सहायता पोत ‘निस्तार’

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

बुधवार, 9 जुलाई 2025 (22:31 IST)
तीसरे फ्लीट सपोर्ट शिप (एफएसएस) का ‘कील लेइंग’ 9 जुलाई को आयोजित किया गया। यह मेसर्स एलएंडटी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली में आयोजित किया गया। समारोह में वी एडमिरल राजाराम स्वामीनाथन, नियंत्रक युद्धपोत उत्पादन और अधिग्रहण और भारतीय नौसेना, एचएसएल और मेसर्स एलएंडटी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। भारतीय नौसेना ने अगस्त 2023 में पांच फ्लीट सपोर्ट शिप (एफएसएस) के अधिग्रहण के लिए एचएसएल के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।

इसकी डिलीवरी 2027 के मध्य में शुरू होनी है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी की शक्ति प्रदर्शन करते हुए एचएसएल ने देश की जहाज निर्माण क्षमता का प्रभावी ढंग से उपयोग करने और डिलीवरी के लिए कड़े समय-सीमा को पूरा करने के लिए मेसर्स एलएंडटी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली को दो जहाजों के निर्माण का उपअनुबंध दिया है।
क्या है जहाजों की ताकत
नौसेना में शामिल होने पर, एफएसएस समुद्र में बेड़े के जहाजों की पुनःपूर्ति के माध्यम से भारतीय नौसेना की 'ब्लू वाटर' क्षमताओं को मज़बूत करेगा। 40,000 टन से अधिक विस्थापन क्षमता वाले ये जहाज ईंधन, पानी, गोला-बारूद और भंडार ले जाएंगे जो समुद्र में बेड़े के दीर्घकालिक और निरंतर संचालन को सक्षम बनाते हैं, जिससे इसकी पहुंच और गतिशीलता में वृद्धि होती है। अपनी सहायक भूमिका में, ये जहाज प्राकृतिक आपदाओं के दौरान कर्मियों को निकालने और राहत सामग्री के शीघ्र वितरण हेतु मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) कार्यों के लिए सुसज्जित होंगे।
 
स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित यह युद्धपोत भारतीय ओईएम से प्राप्त उपकरणों से सुसज्जित है। यह प्रतिष्ठित परियोजना भारतीय जहाज निर्माण उद्योग को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देगी और आत्मनिर्भर भारत , मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड जैसी भारत सरकार की पहलों का एक सच्चा समर्थक है।
भारतीय नौसेना को सौंपा गया निस्तार
प्रथम स्वदेशी गोताखोरी सहायता पोत ‘निस्तार’ भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि यह पोत अत्यधिक विशिष्ट है और गहरे समुद्र में गोताखोरी तथा बचाव अभियान चला सकता है। उन्होंने बताया कि यह पोत गहरे पानी में बचाव कार्य करने वाली पनडुब्बी (डीएसआरवी) के लिए ‘मदर शिप’ यानी मुख्य जहाज के रूप में भी काम करेगा ताकि पनडुब्बी से किसी आपात स्थिति में कर्मियों को बचाने और निकालने में मदद मिल सके।
 
नौसेना के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘निस्तार पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित गोताखोरी सहायता पोत है। इसे हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने आठ जुलाई को विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना को सौंपा।’’
 
उन्होंने बताया कि यह एक खास तरह का पोत है और गहरे समुद्र में गोताखोरी और बचाव अभियान चला सकता है। उनके अनुसार, ऐसी क्षमता दुनिया की कुछ ही नौसेनाओं के पास होती है। उन्होंने कहा कि इस युद्धपोत को भारतीय नौवहन रजिस्टर (आईआरएस) के नियमों के अनुसार निर्मित किया गया है। ‘निस्तार’ नाम संस्कृत शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ मुक्ति या बचाव होता है।
 
प्रवक्ता ने कहा कि 118 मीटर लंबे और लगभग 10,000 टन वजनी इस पोत में गोताखोरी के अत्याधुनिक उपकरण लगे हुए हैं और यह 300 मीटर गहराई तक गहरे समुद्र में गोताखोरी करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि यह पोत गोताखोरों की निगरानी और 1000 मीटर गहराई तक बचाव कार्यों के लिए दूर से नियंत्रित वाहन (रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स) से लैस है।
 
प्रवक्ता ने कहा कि लगभग 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ ‘निस्तार’ की सुपुर्दगी, स्वदेशी निर्माण के लिए भारतीय नौसेना की खोज में एक महत्‍वपूर्ण उपलब्धि है और यह भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ तथा ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के दृष्टिकोण के अनुरूप है। इनपुट भाषा Edited by : Sudhir Sharma

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