शादीशुदा गर्लफ्रेंड नहीं लगा सकती रेप का केस, धोखे और धमकी के खेल पर कानून की नकेल, जानिए पूरा मामला

WD Feature Desk

शुक्रवार, 25 जुलाई 2025 (16:13 IST)
keral high court statement, married woman cannot file rape case on marriage promise: रिश्तों की जटिल दुनिया में कानूनी दांव-पेंच अक्सर नई बहस छेड़ते हैं। हाल ही में, केरल हाई कोर्ट ने एक ऐसा महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसने शादीशुदा महिला के विवाहेत्तर संबंधों और 'शादी के वादे पर रेप' के आरोपों को लेकर एक नई दृष्टि डाली है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि एक शादीशुदा महिला अपने बॉय फ्रेंड के शादी के वादे को मानकर शारीरिक संबंध बनाती है और बाद में वह पुरुष उसे छोड़ देता है, तो महिला उस पर रेप का आरोप नहीं लगा सकती।

केरल हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान जो टिप्पणी की, वह बेहद महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने कहा कि जब एक महिला पहले से शादीशुदा है और किसी कमिटमेंट व रिश्ते में है, तो उसे 'शादी का झांसा' देकर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप नहीं लगाया जा सकता। कोर्ट के अनुसार, ऐसे मामलों में शारीरिक संबंध सहमति से बने होते हैं, क्योंकि एक शादीशुदा महिला को यह पता होता है कि वह किसी अन्य पुरुष से शादी नहीं कर सकती जब तक कि उसका मौजूदा विवाह कानूनी रूप से समाप्त न हो जाए। कोर्ट ने ऐसे संबंधों को 'प्रेम और रोमांच' (Love and Passion) का परिणाम बताया, न कि धोखे पर आधारित रेप।

धोखे और धमकी के खेल पर कानून की नकेल:
केरल हाईकोर्ट का हालिया बयान उन विवाहित महिलाओं के लिए एक चेतावनी है जो अपने वैवाहिक रिश्तों में धोखाधड़ी कर रही हैं और अपनी इच्छा पूरी न होने पर अपने प्रेमियों को फंसाने की धमकी दे रही हैं। यह सिर्फ भावनात्मक मामला नहीं, बल्कि कानूनी दायरे में आने वाला गंभीर मुद्दा है। कोर्ट का यह बयान ऐसे मामलों में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जहां महिलाएं अपनी शक्ति का दुरुपयोग करती हैं और रिश्तों को ब्लैकमेल का हथियार बनाती हैं।

अब प्यार करने से पहले हर कदम फूंक-फूंक कर रखने की जरूरत है। यह सिर्फ भावनात्मक जुड़ाव का नहीं, बल्कि कानूनी जवाबदेही का मामला भी बन गया है। शादीशुदा महिला अगर धोके और धमकी का खेल खेल रही है तो वे कानून की नजर में अबला नहीं अपराधी है। यह फैसला विवाहित रिश्तों की पवित्रता और उसमें शामिल लोगों की ईमानदारी को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

शादीशुदा महिला की सहमति बनाम नैतिकता का सवाल
केरल हाई कोर्ट का यह फैसला भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 (रेप) और 376 (रेप की सजा) के तहत 'शादी के झूठे वादे पर रेप' की व्याख्या पर आधारित है। आमतौर पर, यह धारा तब लागू होती है जब एक पुरुष किसी अविवाहित महिला से शादी का झूठा वादा करके उसकी सहमति प्राप्त करता है, और बाद में वह वादा तोड़ देता है। ऐसे मामलों में, यह माना जाता है कि महिला की सहमति धोखे से ली गई थी, और इसलिए इसे रेप माना जा सकता है।

लेकिन, शादीशुदा महिला के मामले में कोर्ट का तर्क है कि उसे 'शादी का झांसा' नहीं दिया जा सकता। एक शादीशुदा महिला को यह अच्छी तरह पता होता है कि वह कानूनी रूप से किसी और से शादी नहीं कर सकती, जब तक कि उसका तलाक न हो जाए। ऐसे में, यदि वह किसी अन्य पुरुष से संबंध बनाती है, तो यह उसकी अपनी मर्जी और सहमति से होता है। कोर्ट ने ऐसे संबंधों को 'प्रेम और रोमांच' (Love and Passion) का परिणाम बताया, न कि धोखे पर आधारित रेप।

कोर्ट के स्टेटमेंट से जुड़े नैतिक सवाल:
नैतिकता का कटघरा: एक शादीशुदा महिला का अपने पति के अलावा किसी अन्य पुरुष से संबंध बनाना, भारतीय समाज और कानून दोनों की नजर में 'व्यभिचार' (adultery) की श्रेणी में आता है (हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में IPC की धारा 497 को असंवैधानिक करार दिया है, जो व्यभिचार को अपराध बनाती थी, फिर भी यह तलाक का आधार बना हुआ है)। ऐसे में, यदि कोई महिला खुद ऐसे रिश्ते में शामिल होती है, तो उसकी अपनी नैतिकता और जवाबदेही पर सवाल उठते हैं।
सहमति की प्रकृति: कोर्ट ने सहमति के पहलू पर जोर दिया है। यदि संबंध पूरी तरह से सहमति पर आधारित हैं और महिला को पुरुष के शादीशुदा होने या अपनी शादीशुदा स्थिति का ज्ञान है, तो 'शादी का झूठा वादा' रेप का आधार नहीं बन सकता।

केस का संदर्भ: ऑफिस अफेयर और कानूनी दांव-पेंच
यह मामला मलप्पुरम अस्पताल में कार्यरत 28 वर्षीय अविवाहित राकेश एस. और ऑफिस में ही फ्रंट-ऑफिस कार्यकारी के रूप में काम करने वाली 26 वर्षीय शादीशुदा मीरा दास (नाम बदले गए हो सकते हैं, लेकिन संदर्भ यही है) के अफेयर से जुड़ा था। मीरा ने राकेश पर शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया था। इस मामले में राकेश को कुछ दिनों की जेल भी हुई थी, जिसके बाद उसने जमानत के लिए कोर्ट का रुख किया।
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