श्रम कानूनों में संशोधन पर विचार

बुधवार, 26 नवंबर 2014 (17:50 IST)
नई दिल्ली। सरकार ने आज कहा कि वह बाल श्रम कानून, फैक्टरी कानून और न्यूनतम मजदूरी कानून सहित विभिन्न श्रम कानूनों में सुधार पर सक्रियता से विचार कर रही है। श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने आज राज्यसभा को बताया कि सरकार बाल श्रमिक (नियमन एवं उन्मूलन) अधिनियम 1986, फैक्टरी अधिनियम 1948, खान अधिनियम 1952, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 और प्रशिक्षु अधिनियम 1961 तथा श्रमिक (विवरणी देने और रजिस्टर रखने से कतिपय स्थापनों को छूट) अधिनियम 1988 में संशोधन करने पर सक्रियता से विचार कर रही है।

उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि केंद्रीय मंत्रियों, राज्य सरकारों, नियोक्ताओं और कर्मचारियों के संगठनों के साथ त्रिपक्षीय विचारविमर्श के आधार पर विभिन्न श्रम कानूनों में संशोधन करने के प्रस्ताव तैयार किए गए हैं।

इस विचार-विमर्श को सतत प्रक्रिया बताते हुए दत्तात्रेय ने कहा कि समय समय पर विभिन्न पक्ष श्रम कानूनों में संशोधन की मांग करते रहते हैं ताकि कानूनों का बेहतर तरीके से कार्यान्वयन हो, निगरानी प्रक्रिया व्यवस्थित हो, श्रम कानूनों का व्यापक कवरेज हो और अर्थव्यवस्था की उभरती जरूरतें पूरी की जा सकें, जिनमें निवेश को सुविधा प्रदान करना शामिल है।

बाल श्रमिक (नियमन एवं उन्मूलन) कानून 1986 में संशोधन के प्रस्ताव के बारे में दत्तात्रेय ने बताया कि इस कानून के तहत बच्चे की परिभाषा को शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के तहत दी गई परिभाषा से जोड़ना, 14 साल से कम उम्र के बच्चे को काम पर रखने पर पूर्ण प्रतिबंध, फैक्टरी कानून 1948 के तहत खदानों, विस्फोटकों और खतरनाक समझे जाने वाले उपक्रमों में किशोरों के काम करने पर प्रतिबंध तथा इनका उल्लंघन करने वालों के लिए कड़े दंड का प्रावधान शामिल है।

फैक्टरी कानून 1948 में प्रस्तावित संशोधन के बारे में दत्तात्रेय ने बताया कि इसकी धारा 66 में संशोधन का प्रस्ताव है जो रात्रि पाली में महिलाओं को पर्याप्त सुरक्षा के साथ रोजगार देने की अनुमति से संबंधित है। इस कानून की धारा 64 और 65 में भी संशोधन का प्रस्ताव है ताकि ओवरटाइम के घंटों की सीमा बढ़ाई जा सके। एक अन्य प्रस्ताव केंद्र सरकार को फैक्टरी कानून के अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों पर कानून बनाने का अधिकार देने के बारे में है। (भाषा)

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