नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को निर्देश दिया कि 6 महीने की ऋण किस्त स्थगन अवधि के लिए उधारकर्ताओं से कोई चक्रवृद्धि या दंडात्मक ब्याज नहीं लिया जाएगा और यदि पहले ही कोई राशि ली जा चुकी है, तो उसे वापस जमा या समायोजित किया जाएगा। हालांकि शीर्ष अदालत ने मोराटोरियम अवधि बढ़ाने से भी मना कर दिया।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय केंद्र की राजकोषीय नीति संबंधी फैसले की न्यायिक समीक्षा तब तक नहीं कर सकता है, जब तक कि यह दुर्भावनापूर्ण और मनमाना न हो। लेकिन, शीर्ष अदालत ने ट्रेडर एसोसिएशन और अपील को ठुकराते हुए मोराटोरियम अवधि बढ़ाने से भी मना कर दिया।