नायडू ने अहमदनगर जिले में मंदिरों के इस नगर में कहा, मां तस्वीर नहीं है, बल्कि हमारी मातृभूमि है। ‘वंदे मातरम्’ में मां को सलाम किया जाता है। इसे लेकर किसी को कोई समस्या क्यों होनी चाहिए।
शिरडी साईंबाबा संस्थान द्वारा आयोजित ग्लोबल साईं मंदिर ट्रस्ट सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद नायडू ने कहा, हमारी जाति, पंथ और धर्म के बावजूद हम एक राष्ट्र, एक व्यक्ति और एक देश हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि 20वीं सदी के संत साईंबाबा के हिन्दू या मुसलमान होने का मुद्दा अनावश्यक है। उपराष्ट्रपति ने कहा, वे एक सार्वभौमिक शिक्षक थे जो हिंदू धर्म और सूफीवाद के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का मिश्रण थे।
उन्होंने कहा कि मानवता की सेवा और अन्य लोगों के साथ शांति और सद्भाव के साथ रहने की साईंबाबा की शिक्षाओं को सभी लोगों द्वारा अपनाए जाने की जरूरत है, जो उन्हें (साईंबाबा) सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा, मानवता की सेवा ईश्वर की सेवा है। साईंबाबा इस संस्कृति के एक अवतार थे। (भाषा)