मेजर नितिन लीतुल गोगोई ने कहा- जीप पर न बांधता तो फायरिंग में मारे जाते कई लोग
बुधवार, 24 मई 2017 (12:44 IST)
नई दिल्ली। जीप पर कश्मीरी युवक को बांधकर घुमाने वाले सेना के मेजर नितिन लीतुल गोगोई ने मंगलवार को अपने इस कदम को जायज ठहराया। उन्होंने कहा कि जिस युवक को जीप के बोनट पर बांधा गया वह पथराव कर रही भीड़ के साथ था।
गोगई को सोमवार को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) कमेंडेशन कार्ड से नवाजा गया। पिछले दिनों आर्मी चीफ बिपिन रावत जम्मू और कश्मीर के दौरे पर थे। उसी वक्त गोगोई को यह सम्मान दिया गया। कई रक्षा जानकारों ने इस कदम की यह कहते हुए सराहना की कि इससे घाटी में हिंसा पर काबू करने में मदद मिली। इन लोगों का कहना है कि आमतौर पर पत्थरबाजी होने पर सेना को बल प्रयोग करना पड़ता है। इस कदम से बिना किसी हिंसा के पत्थरबाजों से निपटने में मदद मिली।
सेना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, जिन हालात में गोगोई ने ऐसा फैसला लिया, उसमें आमतौर पर सेना को फायरिंग करनी पड़ती है। लेकिन मेजर ने सूझबूझ दिखाते हुए यह कदम उठाया। कश्मीरी युवक के जीप पर बंधे होने की वजह से भीड़ ने पत्थरबाजी ने नहीं की और पूरा काफिला सुरक्षित घटनास्थल से निकल पाने में कामयाब रहा।
मेजर ने मीडिया से घटना के बारे में कहा कि उन्हें इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) से फोन आया था। इसमें बताया गया कि बांदीपुरा में 400 से 500 लोग पथराव कर रहे हैं। यह सुनते ही वो आधे घंटे में मौके पर पहुंच गए। वहां उन्होंने देखा कि पत्थरबाज पुलिस थाने को आग लगाने की कोशिश कर रहे थे।
मेजर लीतुल गोगोई ने कहा, 'मैंने लाउडस्पीकर के जरिए चिल्लाकर लोगों से ऐसा न करने को कहा और ऐलान किया।' लेकिन उनकी बात को अनसुना कर दिया गया। जिस कश्मीरी युवक को ढाल बनाया गया उसके बारे में गोगोई ने कहा कि फारूक अहमद डार भीड़ का लीडर था और उन्होंने उसे पीछा कर पकड़ा था।
गोगोई ने बताया कि मैंने भीड़ को हटाने की कोशिश की लेकिन लोग वहां से जाने को तैयार नहीं थे। लगातार पत्थर फेंक रहे थे। इसपर मैंने पत्थर फेंकने वाले युवक को जीप से बांधा तब जाकर भीड़ हटी। उन्होंने कहा कि उनके इस कदम से कई स्थानीय लोगों की जान भी बची। अगर वो ऐसा नहीं करते तो मजबूरन गोली चलने पर कईयों की जान जा सकती थी।
9 अप्रैल को सेना की जीप से युवक को बांधकर घुमाने का वीडियो सामने आने के बाद काफी हंगामा मचा था। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने वीडियो को ट्वीट करते हुए कार्रवाई की मांग की थी। वीडियो सामने आने पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया था। सेना ने भी इसपर कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया था।