उन्होंने कहा कि शांति के प्रयास किए गए और जिरिबाम जिले में सुरक्षा बलों की मध्यस्थता में 2 समुदायों के बीच समझौता हुआ। दुर्भाग्य से सांप्रदायिक और विभाजनकारी ताकतों ने इन्हें नुकसान पहुंचाया। कांग्रेस सदस्य ने कहा कि भारत सरकार की ऐतिहासिक, राजनीतिक, नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है कि वह मणिपुर की रक्षा करे, क्योंकि यह राज्य संविधान के लागू होने से पहले अस्तित्व में था, जैसा कि संविधान की अनुसूची 1 में उल्लेख है।
अनुच्छेद 19 में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक और बिना हथियार के एकत्र होने, भारतीय क्षेत्र में निर्बाध रूप से घूमने और अन्य अधिकारों का उल्लेख है। मणिपुर के सांसद ने सरकार से विस्थापित लोगों की संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संपत्तियों की सुरक्षा होनी चाहिए। शांति प्रक्रिया बाधित करने के लिए घरों को नुकसान पहुंचाए जाने और गांवों को बर्बाद किए जाने की तस्वीरें आई हैं। एक बार गांव तबाह हो जाए तो आप वापस नहीं जा सकते। भारत सरकार को मणिपुर में विस्थापितों की संपत्तियों की सुरक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।(भाषा)