Rakesh Sharma news in hindi : भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने कहा कि अंतरिक्ष यात्रा इंसान की सोच को बदल देती है और उसे दुनिया को इस नजरिए से देखने पर मजबूर करती है कि यह ग्रह सबका है, किसी एक का नहीं। शर्मा ने अपने विचार एक रिकॉर्ड किए गए पॉडकास्ट में साझा किए, जिसे रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को जारी किया जब 41 साल बाद फिर से एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री ने अंतरिक्ष की ओर कदम बढ़ाए।
बुधवार को भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री एक ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन पर रवाना हुए हैं। शुक्ला ने एक्सिओम स्पेस के वाणिज्यिक मिशन के तहत अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के तीन अन्य यात्रियों के साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन रवाना होकर इतिहास रच दिया। उनके यान की ISS पर डाकिंग आज शाम 4.30 बजे होगी। इससे पहले राकेश शर्मा ने 1984 में तत्कालीन सोवियत संघ के सैल्यूट-7 अंतरिक्ष स्टेशन की कक्षा में आठ दिन बिताए थे।
बुधवार रात जारी पॉडकास्ट में शर्मा ने कहा कि अपने चयन के समय वह भारतीय वायु सेना में एक परीक्षण पायलट थे। बाद में वह भारतीय वायुसेना से विंग कमांडर के पद से सेवानिवृत्त हुए।
Raksha Sutra | Flight Beyond the Skies | Live Now
Legacy & a historic leap - dont miss this exclusive conversation with Wing Commander Rakesh Sharma (Retd.) and the family of ISS-bound astronaut Gp Capt Shubhanshu Shukla!
— Ministry of Defence, Government of India (@SpokespersonMoD) June 25, 2025
प्रशिक्षण से पहले सिखी रूसी भाषा : शर्मा ने कहा कि उस समय मैं जवान था, फिट था और योग्य भी था, इसलिए मेरा चयन हो गया। इसके बाद हम मॉस्को के पास स्टार सिटी गए, जहां हमें प्रशिक्षण मिला। यह प्रशिक्षण 18 महीने तक चला, जो अंत में 1984 के भारत-सोवियत संयुक्त अंतरिक्ष मिशन में बदल गया। यह आठ दिनों का मिशन था, जिसमें हमने कई वैज्ञानिक प्रयोग किए। पूरा प्रशिक्षण, तथा कक्षा में रहने के दौरान चालक दल के सदस्यों और मिशन नियंत्रण के बीच संचार रूसी भाषा में हुआ था। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण शुरू करने से पहले हमें भाषा सीखनी थी और समय की कमी के कारण यह आसान नहीं था। इसलिए, हमें भाषा सीखने में लगभग दो महीने लगे।
बहुत कम लोगों के पास थी टीवी : भारत-सोवियत अंतरिक्ष मिशन एक ऐसे दौर में हुआ था जब बहुत कम लोगों के पास टेलीविजन हुआ करता था, वहीं एक्सिओम-4 मिशन की उड़ान को दुनिया भर के लोगों ने टीवी स्क्रीन और मोबाइल फोन पर लाइव देखा। कई विलंब के बाद, अरबपति कारोबारी एलोन मस्क के स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट ने दोपहर 12 बजकर एक मिनट पर एक्सिओम मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों के लेकर फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से आईएसएस के लिए उड़ान भरी।
पॉडकास्ट में जब शर्मा से पूछा गया कि अंतरिक्ष से दुनिया और भारत को देखकर उन्हें कैसा महसूस हुआ, तो उन्होंने कहा, 'ओह डियर! बहुत सुंदर।' उन्होंने कहा कि हमारे देश में हमें सब कुछ मिला है, हमें लंबी तटरेखा मिली है, हमें घाटों का क्षेत्र मिला है, हमें मैदान मिले हैं, हमें उष्णकटिबंधीय वन मिले हैं, हमें पहाड़ मिले हैं, हिमालय मिला है। यह एक खूबसूरत नजारा है, अलग-अलग रंग, अलग-अलग बनावट।
शर्मा ने कहा कि अंतरिक्ष में दिन और रात बहुत ही असामान्य होते हैं, क्योंकि सूर्योदय और सूर्यास्त केवल 45 मिनट के अंतराल पर होते हैं। उन्होंने कहा कि जबकि अंतरिक्ष यात्रा की तकनीक बदल गई है, लेकिन इंसान ज्यादा नहीं बदले हैं। अंतरिक्ष में जाने से सोच बदल जाती है। इंसान दुनिया को एक अलग तरीके से देखने लगते हैं। उन्हें समझ आता है कि ब्रह्मांड कितना बड़ा है।