Supreme court On Manipur Violence: मणिपुर में हाल ही में महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने के मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अब सख्ती बरती है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही राज्य से यह सवाल भी पूछा है कि सरकार ये बताए कि मई महीने में ऐसी हिंसा के मामले में कितनी एफआईआर दर्ज हुईं हैं?
बता दें कि मणिपुर में कूकी समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड करने का वीडियो सामने आया था। यह वीडियो 4 मई का बताया जाता है। इस वीडियो के सामने आने के बाद पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है। अब सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा पर राज्य से जवाब तलब किया है।
केंद्र की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि यदि शीर्ष अदालत मणिपुर हिंसा के मामले में जांच की निगरानी करती है तो केंद्र को कोई आपत्ति नहीं है।
बता दें कि मणिपुर हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ सुनवाई कर रही है।
एसआईटी जांच के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार
हालांकि उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर हिंसा पर दायर एक नई जनहित याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, इस जनहित याचिका पर विचार करना बहुत कठिन है, क्योंकि इसमें केवल एक समुदाय को दोषी ठहराया गया है।
पीठ ने कहा, आप एक अधिक विशिष्ट याचिका के साथ आ सकते हैं। इस याचिका में हिंसा से लेकर मादक पदार्थों और पेड़ों की कटाई सहित सभी मुद्दे शामिल हैं। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
कपिल सिब्बल ने रखा पक्ष : जब मामला सुनवाई के लिए आया तो वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उन दो महिलाओं की ओर से पक्ष रखा जिन्हें चार मई के एक वीडियो में कुछ लोगों द्वारा निर्वस्त्र करके उनकी परेड कराते हुए देखा गया था। सिब्बल ने कहा कि उन्होंने मामले में एक याचिका दायर की है।
अदालत ने 20 जुलाई को कहा था कि वह हिंसाग्रस्त मणिपुर की इस घटना से बहुत दुखी है और हिंसा के लिए औजार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल करना एक संवैधानिक लोकतंत्र में पूरी तरह अस्वीकार्य है। केंद्र ने 27 जुलाई को शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि उसने मणिपुर में दो महिलाओं की निर्वस्त्र परेड से संबंधित मामले में जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है। केंद्र ने कहा था कि महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध के मामले में सरकार कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति रखती है।
Edited by navin rangiyal/ Bhasha