देश में जातिवाद की बुराई समाज में कितने गहरे तक पैठ कर चुकी है, इसका शर्मनाक उदाहरण हाल ही में देखने को मिला, जब उच्च वर्ग के लोगों ने शहीद के अंतिम संस्कार के लिए जमीन देने से इन्कार कर दिया। हालांकि प्रशासन के दखल के बाद उच्च वर्ग के लोगों ने बड़ी मुश्किल से थोड़ी सी जमीन दी।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक नट जाति से संबंध रखने वाले वीरसिंह शनिवार को जम्मू कश्मीर के पंपोर में आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए शहीद हो गए थे। रविवार को शहीद की पार्थिव देह फिरोजबाद जिले के नागला गांव लाई गई। अंतिम संस्कार की तैयारियां भी हो गईं। जब शवयात्रा शुरू हुई तो गांव के ऊंची जाति वालों ने अंतिम संस्कार के लिए सार्वजनिक जमीन का इस्तेमाल करने से रोक दिया।
जब पूरा देश शहीदों के सम्मान में नतमस्तक हो जाता है, तब तब इस गांव के उच्च वर्ग के लोगों द्वारा शहीद की अंत्येष्टि के लिए जगह नहीं देने के लिए बहुत ही शर्मनाक है। यदि शहीद के परिजन उस सरकारी जमीन पर शहीद की मूर्ति स्थापित करना चाहते हैं तो इसमें बुराई भी क्या है। वीरसिंह चाहे निम्म वर्ग के थे, मगर उनकी शहादत ने तो गांव ही पूरे जिले और राज्य का सम्मान बढ़ाया है।