पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से हाहाकार, मोदी के मंत्री बोले- इससे महंगा तो मिनरल वॉटर है, Free Vaccine भी तो चाहिए

मंगलवार, 12 अक्टूबर 2021 (13:34 IST)
नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से जनता बेहाल हो चुकी है। दूसरी तरफ मोदी सरकार के मंत्री पेट्रोल को पानी से सस्ता बता रहे हैं। देश के बड़े शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपए प्रति लीटर से अधिक हो गयी है और डीजल भी शतक लगाने की ओर बढ़ रहा है।
 
केंद्रीय राज्यमंत्री (पेट्रोलियम और नेचुरल गैस) रामेश्वर तेली ने पेट्रोल की दामों बढ़ोतरी की तुलना पैकेज्ड मिनरल वाटर से की है। तेली ने कहा कि ऐसे पानी की कीमत ज्यादा होती है। तेली ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाए टैक्स से मोदी सरकार मुफ्त वैक्सीन लगा रही है।
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Fuel prices aren't high but include the tax levied. You must've taken a free vaccine, where will the money come from? You haven't paid the money, this is how it was collected: Union MoS (Petroleum & Natural Gas) Rameswar Teli in Assam on Oct 9 pic.twitter.com/uZZCpXdUCj

— ANI (@ANI) October 11, 2021
असम में पत्रकारों से बात करते हुए तेली ने कहा कि पेट्रोल की कीमत ज्यादा नहीं हैं, लेकिन टैक्स लगाया जाता है और यह भी संसाधन जुटाने का एक जरिया है। उन्होंने कहा कि असम उन राज्यों में शामिल है जहां पेट्रोल पर सबसे कम वैट है। 
 
उन्होंने कहा कि पेट्रोल की कीमत अधिक नहीं है, इसमें टैक्स शामिल है। मिनरल वाटर की कीमत इससे कहीं अधिक है। पेट्रोल की कीमत 40 रुपए है। असम सरकार इस पर 28 रुपये वैट लगाती है, पेट्रोलियम मंत्रालय 30 रुपये लगाता है तो यह 98 रुपए का हो जाता है। 
 
अगर आप हिमालय का पानी पीते हैं तो एक बोतल की कीमत 100 रुपए है। पानी की कीमत ज्यादा है, तेल की नहीं। मंत्री ने कहा कि मुफ्त वैक्सीन के लिए पैसा केंद्र सरकार द्वारा वसूले जाने वाले करों से ही तो आता है। तेली ने कहा कि ईंधन की कीमतें अधिक नहीं है, लेकिन इसमें टैक्स लगाया जाता है। 
 
उन्होंने सवाल किया कि आपने मुफ्त टीका लिया होगा, उसके लिए पैसा कहां से आएगा? आपने टीके के लिए पैसे का भुगतान नहीं किया। इसी तरह से फ्री वैक्सीन के लिए पैसा जुटाया गया।
 
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राजस्थान में पेट्रोल की कीमत सबसे अधिक है। यहां राज्य सरकार ने पेट्रोल पर अधिकतम वैट लगाया है। यहां तक कि अगर हम कीमत कम करते हैं तो भी वे कम नहीं करेंगे। राज्य सरकार द्वारा वैट कम किया जा सकता है। उन्होंने विपक्षी पार्टियों पर आरोप लगाया कि अपने शासित राज्यों में वे अधिक वैट लगाते हुए उसका दोष केंद्र सरकार पर लगाते हैं।

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