रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के सूत्रों ने बताया कि उड़ान की स्थिति में इंटरसेप्टर के कई मानकों का सत्यापन करने के लिए यह परीक्षण किया गया, जो सफल रहा है। इस इंटरसेप्टर के लिए पृथ्वी मिसाइल के नौसैन्य संस्करण को लक्ष्य के तौर पर स्थापित किया गया। इस लक्ष्य को बंगाल की खाड़ी में खड़े पोत से छोड़ा गया था।
डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक ने कहा कि इंटरसेप्टर की मारक क्षमता का आकलन कई निगरानी स्रोतों से किया गया। इंटरसेप्टर 7.5 मीटर लंबा मजबूत रॉकेट है, जो नौवहन प्रणाली, हाईटेक कम्प्यूटर और इलेक्ट्रो-मैनिकल एक्टिवेटर की मदद से गाइडेड मिसाइल से संचालित होता है। (भाषा)