उन्होंने बताया कि मोबाइल टॉवरों और हैंडसेटों से विकिरण के प्रभाव के संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के तत्वावधान में विभिन्न देशों ने अध्ययन किए हैं। डब्ल्यूएचओ ने पिछले 30 वर्षों के दौरान प्रकाशित लगभग 25 हजार लेखों का हवाला दिया है और वैज्ञानिक साहित्य की गहन समीक्षा के आधार पर यह उल्लेख किया है कि कमजोर विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र एक्सपोजर के कारण स्वास्थ्य पर किसी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव पड़ने की पुष्टि नहीं होती है।
दूरसंचार मंत्री ने बताया कि लोगों को कॉल ड्रॉप की शिकायत रहती है। मोबाइल टॉवर नहीं होने के कारण यह समस्या होती है। मंत्री ने सदस्यों के प्रश्न के उत्तर में यह भी कहा कि अमेरिका, यूरोप और अन्य किसी देश में इस तरह की बात नहीं हो रही लेकिन भारत में अनावश्यक रूप से मोबाइल रेडिएशन से खतरे का दुष्प्रचार फैलाया जा रहा है। (भाषा)