जनसंख्या नियंत्रण पर क्यों जुदा है मोदी सरकार और संघ का सुर, ओवैसी ने क्‍या कहा?

रविवार, 9 अक्टूबर 2022 (15:52 IST)
जनसंख्‍या नियंत्रण कानून पर नरेंद्र मोदी सरकार और आरएसएस यानी राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के सुर न सिर्फ अलग- अलग नजर आ रहे है, बल्‍कि अब इसे लेकर बयानबाजी का दौर भी जारी है। हाल ही में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के नेता इसे लेकर अपनी राय जाहिर कर चुके हैं। वहीं, ओवैसी ने संघ प्रमुख के बयान पर निशाना साधा है। जबकि सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भी जनसंख्‍या पर अपना बयान दिया है।

दरअसल, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत को व्यापक सोच के बाद जनसंख्या नीति तैयार करनी चाहिए। उन्‍होंने यह भी कहा कि इतना ही नहीं यह सभी समुदायों पर एकसमान रूप से लागू होना चाहिए। हालांकि संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि जनसंख्या नियंत्रण और धर्म आधारित जनसंख्या संतुलन एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसे अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

ओवैसी का भागवत पर निशाना
इधर असदुद्दीन ओवैसी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, ‘मोहन भागवत ने कहा कि भारत में धार्मिक असंतुलन हो रहा है। लेकिन यह सही नहीं है। टोटल फर्टिलिटी रेट 2 प्रतिशत है। सबसे ज्यादा मुसलमानों का टीएफआर गिरा है। उन्‍होंने कहा कि क्‍या भागवत को पता है कि 90 लाख हिंदू बहनों की संतानें कहां है। उन्‍होंने कहा कि भागवत फीमेल फेटिसाइड पर बात क्‍यों नहीं करते।

संघ के सरकार्यवाह ने कही ये बात
दूसरी तरफ राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने जनसंख्या नियंत्रण पर कहा है कि जनसंख्या एक विकट समस्‍या है, इसके असंतुलन की वजह से कई देशों पर संकट आए, यहां तक कि उन देशों के अस्तित्व ही खत्म हो गए हैं। उन्‍होंने कहा कि ऐसे कई देश हैं जो जनसंख्या वृद्धि को भार मानते हैं। हालांकि अगर यही जनसंख्‍या संतुलित हो जाए तो यह एक शक्‍ति की तरह काम करती है।
Edited: By Navin Rangiyal

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